उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आ रहा है। जिले के लगभग सभी ब्लॉकों में कई ऐसे ग्राम प्रधान, सचिव और ग्राम पंचायत सहायक हैं जो फर्जी तरीके से मनरेगा पोर्टल पर कार्य दिखाकर सरकारी धन की बंदरबांट कर रहे हैं। जबकि जमीनी स्तर पर उन कार्यों का कोई अस्तित्व ही नहीं होता।

सूत्रों के अनुसार, कई पंचायतों में एक ही दिन में 200 से अधिक मजदूरों की हाजिरी दर्शा दी जाती है, जबकि गांव में न तो कोई काम दिखता है और न ही मजदूर नजर आते हैं। कहीं पोखरे की खुदाई दिखाई जा रही है, तो कहीं चकबंदी का कार्य, लेकिन जब हकीकत जानने कोई गांव पहुंचता है, तो वहां न कोई मजदूर होता है और न ही कोई निर्माण कार्य।
यह मामला तब सामने आया जब कुछ स्थानीय मीडिया संस्थानों ने इस पर रिपोर्ट प्रकाशित की और मनरेगा योजना के अंतर्गत हो रहे करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार को उजागर किया। इसके बाद यह स्पष्ट हुआ कि देवरिया जनपद में मनरेगा का बड़ा हिस्सा केवल कागजों पर खर्च हो रहा है।
हैरानी की बात यह है कि इस पूरे घोटाले की जानकारी जिले के उच्च अधिकारियों को कई बार दी जा चुकी है। यहां तक कि जिलाधिकारी को भी मामले से अवगत कराया गया है, लेकिन अब तक किसी भी प्रकार की ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह भ्रष्टाचार ग्राम स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है। जब भी कोई शिकायत की जाती है, तो जांच की बात कहकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
अब सवाल उठता है कि मनरेगा जैसी पारदर्शी और गरीबों को रोजगार देने वाली योजना में इस तरह का खेल आखिर क्यों और कैसे हो रहा है? कौन हैं वो अधिकारी जो इन भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रहे हैं? क्या शासन-प्रशासन इस करोड़ों रुपए के खेल की परतें खोलेगा या गरीबों के नाम पर सरकारी धन यूं ही लुटता रहेगा?
देवरिया के ग्रामीणों में इस घोटाले को लेकर रोष है और वे चाहते हैं कि शासन इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। साथ ही मनरेगा पोर्टल पर दिखाए जा रहे कार्यों का भौतिक सत्यापन कराया जाए ताकि असली और नकली कार्यों की सच्चाई सामने आ सके।
सरकार को चाहिए कि वह इस गंभीर मामले को प्राथमिकता पर लेकर कार्रवाई करे ताकि गरीबों की हक की योजना भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़े और जिम्मेदार लोगों को उनके किए की सजा मिल सके।