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India:आखिर भारत ने जापान को पीछे छोड़कर यह उपलब्धि कैसे हासिल की अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई जाने पुरी खबर विस्तार से

भारत का विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह सफलता केवल GDP के आँकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे दशकों की नीतिगत सुधार, जनसंख्या शक्ति, तकनीकी प्रगति, वैश्विक व्यापार में भागीदारी, और रणनीतिक निवेश निहित हैं2025 में, भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो जापान को पीछे छोड़ चुका है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 2025 में भारत की जीडीपी 4.187 ट्रिलियन डॉलर होने का अनुमान लगाया है

आर्थिक सुधारों की नींव (1991 से शुरुआत)

    भारत की अर्थव्यवस्था में बड़ा मोड़ 1991 में आया जब देश ने आर्थिक उदारीकरण (Liberalization) निजीकरण (Privatization), और वैश्वीकरण (Globalization) को अपनाया। तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधारों की एक श्रृंखला लागू की, जिसमें विदेशी निवेश को बढ़ावा, लाइसेंस राज की समाप्ति और बाजार आधारित अर्थव्यवस्था की शुरुआत की गई

    इन सुधारों के कारण भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) तेजी से बढ़ने लगा और देश विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक गंतव्य बन गया।

    सेवा क्षेत्र का विकास

      भारत के सेवा क्षेत्र ने अर्थव्यवस्था को गति देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। विशेष रूप से आईटी (IT) बीपीओ (BPO), टेली-कॉम्युनिकेशन, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं में भारत ने विश्वभर में अपनी पहचान बनाई

      भारत का IT सेक्टर आज विश्व के कई देशों को सेवाएं प्रदान करता है, जिससे भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित होती है। इस क्षेत्र ने न केवल रोजगार के अवसर पैदा किए बल्कि GDP में महत्वपूर्ण योगदान भी दिया

      जनसंख्या और युवा शक्ति

        भारत की 1.4 अरब की जनसंख्या में एक बड़ी संख्या युवा वर्ग की है। यह जनसांख्यिकीय लाभ (Demographic Dividend) देश के लिए एक वरदान साबित हुआ।

        जहाँ जापान की जनसंख्या घट रही है और वहां वृद्ध जनसंख्या बढ़ रही है, वहीं भारत के पास श्रमबल और उपभोक्ता दोनों की भरपूर मात्रा है। यह युवाशक्ति न केवल उत्पादन में लगी है बल्कि नवाचार (Innovation) स्टार्टअप्स और तकनीकी क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रही है

        निर्माण और बुनियादी ढांचे पर ध्यान

          भारत सरकार ने मेक इन इंडिया प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना भारतमाला सागरमाला  और  स्मार्ट सिटी मिशन जैसी योजनाएं शुरू कीं जिससे बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर निवेश हुआ

          इसके परिणामस्वरूप निर्माण (Construction)सड़क रेलवे, बंदरगाह, और हवाई अड्डों का विकास हुआ जिससे उद्योगों को बढ़ावा मिला और अर्थव्यवस्था में गति आई

          डिजिटल क्रांति

            डिजिटल इंडिया अभियान और यूपीआई (Unified Payments Interface) जैसी प्रणालियों ने भारत को एक अग्रणी डिजिटल अर्थव्यवस्था में बदल दिया है। भारत में लाखों लेन-देन प्रतिदिन डिजिटल माध्यम से होते हैं

            फिनटेक (FinTech) स्टार्टअप्स जैसे PhonePe, Paytm, BharatPe, Zerodha आदि ने वित्तीय समावेशन में क्रांति ला दी। इससे औपचारिक अर्थव्यवस्था का विस्तार हुआ और टैक्स बेस भी बढ़ा

            स्टार्टअप्स और उद्यमिता का प्रसार

              भारत अब स्टार्टअप्स की भूमि बन चुका है। हजारों स्टार्टअप्स हर साल बन रहे हैं और कई यूनिकॉर्न (1 अरब डॉलर से अधिक मूल्य वाले स्टार्टअप) भी खड़े हुए हैं

              सरकार की योजनाओं जैसे स्टार्टअप इंडिया, मुद्रा योजना, और आसान पूंजी तक पहुंच ने नए उद्यमियों को प्रोत्साहन दिया है, जिससे GDP में योगदान और रोजगार दोनों बढ़े हैं

              वैश्विक निवेश और व्यापारिक संबंध

                भारत ने विभिन्न देशों से मजबूत व्यापारिक संबंध बनाए हैं, खासकर अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, और खाड़ी देशों के साथ। भारत का निर्यात (Export) बढ़ा है, विशेष रूप से फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल, और आईटी सेवाओं में

                इसके साथ ही भारत ने कई अंतरराष्ट्रीय समझौतों और आर्थिक भागीदारियों में भाग लिया, जिससे निवेश बढ़ा और विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत हुआ।

                सरकारी योजनाएं और नीतिगत स्थिरता

                  भारत में आर्थिक योजनाएं जैसे GST (Goods and Services Tax), DBT (Direct Benefit Transfer) आयुष्मान भारत, और आत्मनिर्भर भारत ने अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप दिया और पारदर्शिता बढ़ाई

                  GST ने कर प्रणाली को सरल और एकीकृत किया, जिससे राज्यों की आय में भी वृद्धि हुई और व्यापार को सुगमता मिली

                  उपभोक्ता मांग और घरेलू बाजार का विस्तार

                    भारत के विशाल घरेलू बाजार में बढ़ती उपभोक्ता मांग ने कंपनियों को उत्पादन बढ़ाने और निवेश करने के लिए प्रेरित किया

                    मध्यम वर्ग की संख्या में वृद्धि, आय स्तर में बढ़ोतरी और शहरीकरण ने उपभोक्ता वस्तुओं (Consumer Goods), रिटेल, वाहन, और रियल एस्टेट क्षेत्रों को नई ऊँचाइयाँ दीं

                    जापान की आर्थिक सुस्ती

                      भारत के आगे निकलने का एक कारण जापान की अर्थव्यवस्था में लंबे समय से चली आ रही सुस्ती भी है। जापान की अर्थव्यवस्था में वृद्धि दर कम है जनसंख्या घट रही है, और उत्पादन लागत ज्यादा है

                      वहीं भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ रही है और IMF और World Bank जैसे संगठनों ने भी भविष्य में भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावना जताई है

                      भारत का जापान को पीछे छोड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना केवल संख्यात्मक उपलब्धि नहीं, बल्कि दशकों की मेहनत, सही नीतियों और जनशक्ति की जीत है

                      यह उपलब्धि भारत को वैश्विक मंच पर और अधिक प्रभावशाली बनाएगी। अब भारत को सतत विकास पर्यावरणीय संतुलन, रोजगार सृजन, और सामाजिक समावेशन पर भी उतना ही ध्यान देना होगा, जिससे यह वृद्धि समान रूप से सभी वर्गों तक पहुंच

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