आखिर कौन है बागेश्वर धाम का धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जाने क्या है उनका इतिहास


बताया जाता है बागेश्वर धाम के महाराजा कहे जाने वाले इस संत का का जन्म छतरपुर जिले के ग्राम गड़ा में 1996 में हुआ था दो भाई एक बहन है भाई छोटा है जिनका नाम शालिग्राम गर्ग उर्फ सौरभ है बहन का नाम रीता गर्ग है पिता का नाम राम कृपाल गर्ग और माता का नाम सरोज है बताया जाता है माता सरोज महाराज को प्यार से घर में धीरू बुलाती हैं और गांव के लोग धीरेंद्र गर्ग कहते हैं

धीरू से कैसे बने पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बागेश्वर महाराज

बताया जाता है कि पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के अंदर बचपन से ही लोगों को प्रभावित करने की क्षमता रही है वह हमेशा कुछ नया कर दिखाने का जज्बा रखते थे इसलिए उन्हें अपने गड़ा गांव में स्थित शंकर जी के प्राचीन मंदिर को अपना स्थान चुना इस मंदिर में भगवान शिव की ज्योतिर्लिंग है जिसे बागेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है यहां साल 2016 में ग्राम वासियों के सहयोग से विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया उसमें श्री बालाजी महाराज की मूर्ति मूर्ति की स्थापना की गई तब से यहां स्थान बागेश्वर धाम के नाम से जानने लगा और लोगों का यहां पर आना जाना शुरू हुआ यह अपने दादा को ही गुरु मानते थे उन से ही उन्होंने रामकथा सीखी कहां जाता है कि उनके दादा सिद्ध पुरुष थे वह मंगलवार शनिवार को दिव्य दरबार लगाते थे लोगों की मन की बातें जान लेते थे उस समय भी लोग इसी तरह से अर्जी लगाते थे दादा जी की तरह वह भी मंगलवार शनिवार को दिव्य दरबार लगाकर मन की बातें जानते हैं

बागेश्वर धाम की कथा वाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों सुर्खियों में है बागेश्वर महाराज के नाम से प्रसिद्ध हो चुके धीरेंद्र शास्त्री लोगों कि मन की बात बताने का दावा करते हैं लोगों का विश्वास है कि अगर बागेश्वर धाम के दिव्य दरबार में एक बार अर्जी लग जाए तो किस्मत बदल जाती है यहां लोगों की समस्या बिना बताए ही जान जाते हैं और कागज पर हूबहू उतार देते हैं जिन भक्तों की दरबार में हाजिरी लग जाती है उन्हें बाबा का सामने बैठा कर वह एक पर्चा देते हैं जिसमें भक्तों की समस्या लिखी होती है और यह समस्या लेकर आया हूं तो बाबा समाधान का भरोसा भी देते हैं कई बार वह कहते हैं कि सब ठीक हो जाएगा कुछ उसका समाधान भी बताते हैं
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में गड़ा गांव में यह धाम स्थित है गड़ा गांव मैं गाड़ियों की एंट्री हमेशा बंद रहती है इसलिए बागेश्वर धाम में अपनी अर्जी लेकर आए भक्तों को करीब 5 से 6 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है इसके बाद ही इनकी अर्जी लगती है बागेश्वर धाम में अर्जी लगाने का एक अनोखा सिस्टम है अगर अर्जी लग जाए तो कोर्ट की तरह पीसी होती है यहां नारियल में कपड़ा बांधकर अर्जी लगानी होती है लाल या पीला और काले कपड़े को नारियल में बांधकर कर लाया जाता है तब अर्जी स्वीकार की जाती है अन्यथा अर्जी स्वीकार नहीं की जाती है
गड़ा गांव में पंडित धीरेंद्र शास्त्री की दिव्य दरबार लगने से गांव की किस्मत खुल गई है 300 घरों के गांव में करीब 2000 से अधिक दुकानें खुल चुकी हैं और बाहर प्रसाद और फूल मालाएं बेच कर लोग दिन भर में 12 से 15 सो रुपए रोज कमा ले रहे हैं और यहां दुकानों का किराया भी 3000 से लेकर 1.25लाख रुपए प्रतिमाह हो चुका है
बागेश्वर धाम के दरबार में बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं और अपनी अर्जी लगाते हैं लेकिन सबके मन में यह बात बनी रहती है कि आखिर बाबा लोगों के मन की बात कैसे जान लेते हैं यह चीज अभी तक किसी ने नहीं जान पाया तो


आखिर बाबा लोगो की मन की बात कैसे जान लेते है

बागेश्वर धाम में बाबा का दावा है कि उनके पास एक ऐसी शक्ति है कि वह लोगों की मन की बातें जान लेते है और वो कहते हैं कि उनके पास ऊपर से कनेक्शन है और सिग्नल के जरिए उन लोगों को की बातों को जानते हैं जिसमें वह हनुमान जी का सिग्नल बताते हैं


अर्जी लगाने की प्रक्रिया

बागेश्वर धाम में नारियल बांधकर लोग बालाजी महाराज के समक्ष अर्जी लगाते हैं
ओम बागेश्वर नमः मंत्र का जाप कर लाल कपड़े में मंदिर में नारियल बांधते हैं
दिव्य दरबार का हिस्सा बनने के लिए धाम से टोकन लेना पड़ता है
टोकन वाले को पर्चे में नाम पता मोबाइल नंबर लिख कर जमा करना होता है
दिव्य दरबार की तारीख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सोशल मीडिया पर देते हैं
दिव्य दरबार से पहले एक लिस्ट जारी होती है मोबाइल से लोगों को सूचित किया जाता है
उसके बाद भक्तों के मन को पढ़कर समस्या और समाधान पर्ची पर लिख देते हैं
इसके बाद बागेश्वर धाम की पेशी करनी होती है

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