supreme court: हिंदू महिला और मुस्लिम पुरुष की शादी नियमित अवैध सुप्रीम कोर्ट क्या है इसकी सच्चाई

इन दिनों सोशल मीडिया पर एक पेपर की कटिंग वायरल हो रही है जिसमें लिखा है कि हिंदू महिला और मुस्लिम पुरुष की शादी नियमित अवैध है आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे कि यह शादी अवैध है या वैध है जिसको लेकर सोशल मीडिया पर पेपर की कटिंग वायरल हो रही है क्या वाकई में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी बात कही है या नहीं,

अमर उजाला की वेबसाइट पर एक लेख 23 जनवरी 2019 को प्रकाशित किया गया है इसके लेख में लिखा गया है कि, सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए हिंदू महिला व मुस्लिम पुरुष की शादी को कहा न तो नियमित और न वैध है

इस अवैध बताया है बताया है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस शादी से पैदा हुए संतान को वैध बताया है और हिंदू महिला मुस्लिम पुरुष से पैदा होने वाला बच्चा पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने का हकदार होगा साथ ही कोर्ट ने कहा कि कानून इस तरह की शादी में महिला भत्ता पाने की हकदार तो है लेकिन उसे अपने पिता की संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा कोर्ट ने यह आदेश संपत्ति की विवाद सुनवाई के दौरान दिया है यह लेख अमर उजाला की वेबसाइट पर उपलब्ध है यह पूरा फैसला न्यायधीश एनवी रमन और संत गोदर की पीठ ने फैसला सुनाया था उस समय कोर्ट ने कहा था कि ऐसी किसी महिला जो मूर्ति पूजा करती हो या फिर अग्नि को पूजती हो उसे मुस्लिम पुरुष का विवाह ना तो वैध है और ना ही मान्य है या केवल महज एक अनियमितता विवाह ऐसे विवाह से पैदा हुआ संतान अपने माता पिता की संपत्ति पर दावा करने का हकदार होगा कोर्ट इस मामले को सुनवाई करते हुए साफ कहा है कि हिंदू लड़की और मुस्लिम लड़का से शादी वैध नहीं है अमर उजाला के इस आर्टिकल से साफ हो जाता है कि जो धुंधला पर पेपर की कटिंग वायरल हो रहा है वह सही है।

इस खबर का पुष्टि बी न्यूज़ नहीं करता है यह अमर उजाला की वेबसाइट से जानकारी ली गई है

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