करवा चौथ, जिसे महिलाओं के सबसे प्रिय त्योहारों में से एक माना जाता है, हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष करवा चौथ का त्योहार 1 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर, विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना के साथ पूरे दिन व्रत रखती हैं। यह पर्व न केवल पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास का प्रतीक है, बल्कि इसमें भारतीय संस्कृति और परंपराओं की झलक भी देखने को मिलती है।
करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं, अर्थात् बिना पानी पिए उपवास करती हैं, और शाम को चंद्र दर्शन के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं। यह त्योहार विशेष रूप से उत्तर भारत में, विशेष रूप से पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, और मध्य प्रदेश में बहुत ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य पति की लंबी उम्र, खुशहाली और सुख-समृद्धि के लिए ईश्वर से प्रार्थना करना होता है। ऐसा माना जाता है कि करवा चौथ का व्रत रखने से महिलाओं को उनके वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
करवा चौथ की पूजा विधि
करवा चौथ की पूजा विधि को सही ढंग से करने के लिए कुछ परंपराएं और नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले ही महिलाएं सरगी नामक भोजन ग्रहण करती हैं, जो उनकी सास द्वारा दिया जाता है। सरगी में फल, मिठाई, और सूखे मेवे होते हैं। यह भोजन उन्हें पूरे दिन व्रत रखने में मदद करता है। सरगी के बाद महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा के उदय होने का इंतजार करती हैं।
शाम को करवा चौथ की पूजा करने के लिए महिलाएं पारंपरिक वस्त्र पहनती हैं, जिनमें ज्यादातर लाल और चमकीले रंगों के कपड़े होते हैं। पूजा के दौरान वे करवा (मिट्टी का बर्तन) और दीपक जलाकर मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं। करवा चौथ की कथा भी सुनाई जाती है, जिसमें सावित्री की कहानी का विशेष उल्लेख होता है, जिन्होंने अपने पति की मृत्यु से लड़कर उन्हें फिर से जीवित कर दिया था।
पूजा का शुभ मुहूर्त
करवा चौथ 2024 का व्रत 1 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन चंद्रोदय का समय रात को लगभग 8:30 बजे के आसपास है। इसलिए, चंद्रमा को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त शाम 7:30 से लेकर 8:30 के बीच रहेगा। महिलाएं इस समय के दौरान पूजा कर सकती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत का पारण कर सकती हैं।
करवा चौथ व्रत की पौराणिक कथा
करवा चौथ की कथा महाभारत काल से जुड़ी मानी जाती है। कहा जाता है कि एक बार जब अर्जुन तपस्या के लिए नीलगिरी पर्वत गए हुए थे, तब द्रौपदी को अत्यधिक चिंता हो रही थी। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें करवा चौथ का व्रत रखने की सलाह दी। श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को बताया कि इस व्रत को रखने से उनके पति की सभी समस्याओं का निवारण होगा। इसके बाद द्रौपदी ने करवा चौथ का व्रत रखा और अर्जुन सुरक्षित वापस लौट आए।
इसके अलावा, एक अन्य प्रसिद्ध कथा है करवा नाम की पतिव्रता स्त्री की, जिसने अपने पति को मगरमच्छ से बचाने के लिए यमराज से उसकी प्राण रक्षा की गुहार लगाई थी। करवा की भक्ति और समर्पण से प्रभावित होकर यमराज ने उसके पति को जीवनदान दिया। इसी कारण इस दिन का नाम ‘करवा चौथ’ पड़ा और यह व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाने लगा।
आधुनिक समय में करवा चौथ का उत्सव
आधुनिक समय में करवा चौथ का उत्सव एक सामाजिक और सांस्कृतिक घटना बन गया है। अब यह त्योहार न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में बल्कि शहरी इलाकों में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। कई जगहों पर महिलाएं समूह में इकट्ठी होकर करवा चौथ की पूजा करती हैं और अपनी मित्रों के साथ इस खास दिन का आनंद लेती हैं। सोशल मीडिया पर भी करवा चौथ से जुड़े पोस्ट और तस्वीरें तेजी से वायरल होती हैं, जहां महिलाएं अपनी पारंपरिक साज-सज्जा और करवा चौथ की रस्मों को साझा करती हैं।
इसके अलावा, कई फेमस डिजाइनर ब्रांड्स और ब्यूटी सैलून इस दिन के लिए विशेष तैयारियां करते हैं, ताकि महिलाएं इस दिन खुद को और भी खूबसूरत और विशेष महसूस कर सकें। महिलाएं न सिर्फ अपने पति के लिए व्रत रखती हैं, बल्कि अपने परिवार और घर की सुख-समृद्धि के लिए भी इस दिन की पूजा करती हैं।
करवा चौथ के व्रत के फायदे
करवा चौथ का व्रत धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी लाभदायक माना जाता है। पूरे दिन बिना कुछ खाए-पीए रहने से शरीर की पाचन शक्ति में सुधार होता है और यह डिटॉक्सिफिकेशन की प्रक्रिया को भी प्रोत्साहित करता है। साथ ही, व्रत रखने से मानसिक शांति और अनुशासन का विकास होता है।
इस प्रकार, करवा चौथ का व्रत न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह महिलाओं के जीवन में प्रेम, समर्पण, और शक्ति का प्रतीक भी है।