जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में गोवंश संरक्षण हेतु जनपदीय मूल्यांकन एवं अनुश्रवण समिति की बैठक का आयोजन बुधवार को विकास भवन स्थित गांधी सभागार में किया गया। बैठक में जिलाधिकारी ने जनपद के समस्त गौ-आश्रय स्थलों को शासन द्वारा निर्धारित मानकों के अनुपालन के साथ संचालित करने का निर्देश दिया।
जिलाधिकारी ने समस्त गौ आश्रय स्थलों में गोबर एवं उसके उपयोग का अभिलेखीकरण करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि विभिन्न गोशालाओं में गोबर के कंडे बनाये जाते हैं। कंपोस्ट खाद, अगरबत्ती आदि के लिए भी गोबर का प्रयोग किया जा रहा है। ऐसे में इसका अभिलेखीकरण करना अत्यंत आवश्यक है।
जिलाधिकारी ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को कुपोषित बच्चों की सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि जिन परिवारों के बच्चे कुपोषित हैं, उन्हें गो-आश्रय स्थलों में रह रही दुधारू गायों को उपलब्ध कराया जाए। इससे पोषण स्तर में सुधार होगा।
जिलाधिकारी ने सहभागिता योजना के प्रचार प्रसार पर जोर दिया उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को गो-वंशों को गोद लेने के लिए जागरूक किया जाए। जनपद में सहभागिता योजना का लक्ष्य 770 है, जिसके सापेक्ष 562 का चयन किया गया तथा वर्तमान में 201 गोवंशों को भरण पोषण हेतु प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।
जिलाधिकारी ने मुख्य राजस्व अधिकारी को निर्देशित किया कि एक एकड़ से अधिक की गोचर भूमि की सूची एनआईसी से प्राप्त कर हरा चारा उगाया जाए। जिलाधिकारी ने जनपद में गो-अभ्यारण्य स्थापित करने के लिए भूमि तलाशने का निर्देश दिया। गो-अभ्यारण्य की स्थापना हेतु 40-50 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी।उन्होंने कहा कि अगले 5 साल के मद्देनजर तात्कालिक एवं दीर्घकालिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए गौशाला के लिए योजना बनाई जाए।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी रवींद्र कुमार, सीआरओ रजनीश राय, उपजिलाधिकारी रुद्रपुर ध्रुव कुमार शुक्ला, जिला विकास अधिकारी रविशंकर राय, डीसी मनरेगा बीएस राय, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी अरविंद कुमार वैश्य, डीपीओ कृष्ण कांत राय, ईओ रोहित सिंह, डीएसटीओ मनोज श्रीवास्तव सहित विभिन्न अधिकारी मौजूद थे।