उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष(राज्यमंत्री स्तर) डा देवेन्द्र शर्मा ने जनपद भ्रमण कार्यक्रम के दौरान आज जिला अस्पताल, जिला जेल, मेडिकल कॉलेज समेत विद्यालयों एवं बाल कल्याण से जुडे विभिन्न संस्थानों का निरीक्षण किया, तद्उपरान्त विकास भवन के गांधी सभागार में बाल कल्याण से जुडे विभागों के साथ संचालित योजनाओं की गहन समीक्षा की एवं आवश्यक निर्देश दिए।
अध्यक्ष श्री शर्मा ने संबंधित सभी अधिकारियों को बैठक के दौरान निर्देश देते हुए कहा कि वे आपसी टीमभाव व समन्वय के साथ कार्य करते हुए बच्चों से जुडे सभी योजनाओं का क्रियान्वयन सफलतम तरीके से करें। उन्होंने श्रम विभाग, समाज कल्याण, बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, स्वास्थ्य विभाग, प्रोबेशन विभाग आदि जुडे विभागों को स्पष्ट रुप से निर्देश देते हुए कहा कि उनके वहां इस योजना से जुडे पात्र कर्मियों यथा- आंगनवाडी, आशा, रसोईया, मनरेगा, जॉब कार्डधारी आदि को एवं उनके आश्रितों को प्राथमिकता के तौर पर आच्छादित करें।
श्री शर्मा ने कहा कि बच्चों के हित से संबंधित योजनाओं में केवल औपचारिकता न बरती जाये बल्कि सभी लोग अपनी जिम्मेदारी को समझे, उसे पूरा करें तथा जनपद में एक मिशाल कायम करें। इसके लिए उन्होंने कन्या सुमंगला योजना से प्राथमिकता के तौर पर टीमवर्क अपनाते हुए पात्रों को इससे जोडने का निर्देश दिया। उन्होंने उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना की समीक्षा में कहा कि यह अत्यन्त ही भावनात्मक व संवेदनशील योजना है, इससे असहाय बच्चों को पूरा भरण-पोषण का इंतजाम शासन द्वारा किए जाने की व्यवस्था की गयी है।
अध्यक्ष श्री शर्मा ने बच्चों में नशा की प्रवृत्ति न पनपे, इसके नियंत्रण के लिए जागरुकता पर बल देते हुए कहा कि बच्चों को प्रार्थना सभा में जागरुक किया जाये। विद्यालयों के परिसर से 100 मीटर की परिधि में नशा सामाग्री की बिक्री प्रतिबंधित रहेगी। उन्होंने सभी विद्यालयों की कक्षाओं में प्रहरी बनाये जाने का निर्देश दिया कहा कि उनके मोबाइल नम्बर, व्हाटसअप से जोडे जाये, जिससे कि विद्यालय के पठन पाठन सहित सभी गतिविधियों की वस्तुस्थिति मिलती रहे। उन्होंने बाल कुरीतियों से जुडे यथा बाल श्रम, बाल यौन शोषण, बाल विवाह, भिक्षावृत्ति पर भी प्रभावी नियंत्रण पर बल दिया। उन्होंने बाल संरक्षण इकाईयो का गठन ग्राम स्तर पर भी 15 दिन के अन्दर कराये जाने के निर्देश डीपीआरओ को दिया। उन्होंने सभी विद्यालयों में फॉगिंग तथा खुले नालियों में एन्टी लार्वा का छिडकाव कराये जाने को कहा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री सेवा योजना के 07 लाभार्थी बच्चो को स्वीकृति पत्र तथा एक लाभार्थी अमरेश सिंह को लैपटॉप प्रदान किया।
मुख्य विकास अधिकारी रवींद्र कुमार ने अध्यक्ष श्री शर्मा को आश्वस्त करते हुए कहा कि बैठक में जो भी निर्देश दिए गए है या कमियां आई है, वह भविष्य में नही मिलेगी। सभी जुडे अधिकारी टीमभाव से निर्देशों का अक्षरशः पालन सुनिश्चित करेंगे। अपर पुलिस अधीक्षक राजेश सोनकर ने कहा कि बच्चों के उत्पीडन आदि से जुडे सभी मामले प्राथमिकता पर रहेगी।
इस दौरान अध्यक्ष बाल आयोग को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। बैठक में एएसडीएम मंजूर अहमद, बीएसए शालिनी श्रीवास्तव, डीपीओ कृष्णकान्त राय, एसीएमओ डा राजेन्द्र प्रसाद, जिला प्रोबेशन अधिकारी अनिल सोनकर, समन्वय एनवाईके विकास तिवारी, बाल संरक्षण अधिकारी जेपी तिवारी, समाज कल्याण अधिकारी जैसवार लाल बहादुर, श्रम प्रवर्तन अधिकारी शशि सिंह, वनस्टॉप सेन्टर की मीनू जायसवाल, नीतू भारती, एनजीओ से सावित्री राय सहित अन्य संबंधित अधिकारी आदि उपस्थित रहे।
बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष द्वारा किया गया विभिन्न संस्थानो का निरीक्षणः-
अध्यक्ष(राज्यमंत्री स्तर) डा देवेन्द्र शर्मा ने जिला चिकित्सालय, जिला कारागार, वनटाप सेन्टर, राजकीय बाल गृह, प्रोग्रेसिव एजेन्सी हिम्यूनिटी, डीडी पब्लिक स्कूल भुजौली कालोनी आदि संस्थानों का निरीक्षण कर पायी गयी कमियों पर आवश्यक कार्यवाही किये जाने का निर्देश दिया।
जिला कारागार के निरीक्षण में महिला कैदियों के साथ रह रहे 07 बच्चे पाये गये। बच्चों के लिए बनाये गये क्रैच में पेंटिंग किये जाने, खिलौने, प्लास्टिक कुर्सी की व्यवस्था किये जाने का निर्देश दिया। उन्होंने इन बच्चों को बाल सम्मान योजना से आच्छादित किये जाने के साथ ही पढने की व्यवस्था जेल में किये जाने को कहा। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे बच्चें जिनके माता-पिता दोनो जेल में हैं उन्हें भी योजनाओं से आच्छादित किये जाये।
जिला चिकित्सालय में निरीक्षण के दौरान एनआरसी आदि का जायजा लिया तथा तामिरदारो से बातचीत की। चिकित्सालय की व्यवस्था पर संतोष जताया। कहा कि सभी तामीदारों द्वारा दवा, इलाज समुचित रुप से किये जाने की बात बतायी है तथा काफी संख्या में आ रहे मरीजों से जिला चिकित्सालय के प्रति विश्वास बढना परिलक्षित होता है।
वन स्टाप सेन्टर के जायजा में पाया कि 04 बच्चियां थी, जिन्हे समझाने-बुझाने के पश्चात अपने घर जाने को सहमत हुई। राजकीय बाल गृह के निरीक्षण में मिली खामियों से काफी असंतुष्ट दिखें तथा मुख्य विकास अधिकारी को विगत तीन वर्षो की ऑडिट करा कर उसकी आख्या भेजे जाने का भी निर्देश दिया। प्रोसेसिंग एजेन्सी हिम्यूनिटी(पाथ) में मिली कमियों पर भी नाराजगी जतायी और इसकी भी जॉच कराये जाने का निर्देश सीडीओ को दिया। उन्होने राइट एजूकेशन एक्ट के प्राविधानों का भी पालन कराये जाने के भी निर्देश दिए।