देवरिया, उत्तर प्रदेश के रहने वाले शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कृति चक्र से सम्मानित किया गया है। यह वीरगाथा उन तमाम बहादुर जवानों की कहानी है जो अपने प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा करते हैं। कैप्टन अंशुमान सिंह की वीरता और साहस की गाथा हमें गर्व और प्रेरणा से भर देती है।
घटना का विवरण:
19 जुलाई 2023 को सियाचीन ग्लेशियर के एक बंकर में अचानक आग लग गई। इस आपातकालीन स्थिति में कैप्टन अंशुमान सिंह ने अपने साहस और नेतृत्व का परिचय दिया। बिना किसी संकोच के, वे बंकर में घुस गए और 4 जवानों को सुरक्षित बाहर निकालने में सफल रहे। हालांकि, इस वीरता भरे कार्य के दौरान, वे खुद आग की लपटों में घिर गए और शहीद हो गए।
व्यक्तिगत जीवन:
कैप्टन अंशुमान सिंह का जन्म पूर्वांचल के देवरिया जिले में हुआ था। उनकी परवरिश एक सैनिक परिवार में हुई थी, जहां से उन्हें देशभक्ति और सेवा का संस्कार मिला। उनकी शिक्षा-दीक्षा के बाद, उन्होंने भारतीय सेना में शामिल होकर अपने परिवार और जिले का नाम रोशन किया। उनकी बहादुरी और साहस के किस्से सुनकर गांववाले गर्व महसूस करते हैं।
सम्मान और श्रद्धांजलि:
कैप्टन अंशुमान सिंह की शहादत के बाद, उन्हें मरणोपरांत कृति चक्र से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन वीर जवानों को दिया जाता है जिन्होंने अपने अदम्य साहस का परिचय देकर देश की रक्षा की है। यह सम्मान उनके परिवार और उनके गांव के लिए एक बड़ा गर्व का विषय है। उनकी पत्नी और मां को राष्ट्रपति द्वारा यह सम्मान दिया गया। इस दौरान उनकी पत्नी और मां की आंखों में गर्व और गम का मिश्रण साफ देखा जा सकता था।
सामाजिक योगदान:
कैप्टन अंशुमान सिंह की वीरता की कहानी ने देवरिया जिले में एक नई ऊर्जा और प्रेरणा का संचार किया है। उनके सम्मान में विभिन्न सामाजिक संगठनों ने उनकी याद में कई कार्यक्रम आयोजित किए। उनके नाम पर स्कूल, सड़कों और पार्कों का नामकरण किया जा रहा है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ उनकी वीरता से प्रेरणा ले सकें।
सियाचीन की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियाँ:
सियाचीन ग्लेशियर भारतीय सेना के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। वहां की कठिन परिस्थितियों में भी कैप्टन अंशुमान सिंह ने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। इस क्षेत्र में तापमान -50 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है, जिससे वहां तैनात जवानों के लिए जीवन बेहद कठिन हो जाता है। इसके बावजूद, भारतीय सेना के जवान अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा के साथ निभाते हैं।
परिवार का गर्व और दुःख:
कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी और मां ने उनकी शहादत पर गर्व व्यक्त किया। उनकी पत्नी ने कहा, “अंशुमान ने हमेशा देशसेवा को सर्वोपरि रखा। उन्होंने अपनी जान देकर चार जवानों की जान बचाई, यह हमारे लिए गर्व का विषय है।” वहीं, उनकी मां ने कहा, “मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ, मुझे उस पर गर्व है, लेकिन उसकी कमी हमेशा खलेगी।”
समाज और प्रशासन का समर्थन:
कैप्टन अंशुमान सिंह की शहादत के बाद, समाज और प्रशासन ने उनके परिवार को हर संभव सहायता और समर्थन देने का वादा किया है। राज्य सरकार ने उनके परिवार को आर्थिक सहायता और उनके बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी ली है। इसके अलावा, उनके गांव में एक स्मारक बनाने की भी योजना है, जिससे उनकी यादें हमेशा जीवित रहें।
अंतिम श्रद्धांजलि:
कैप्टन अंशुमान सिंह की अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए। सभी ने उनके अदम्य साहस और देशभक्ति को सलाम किया। उनके अंतिम संस्कार के समय पूरे गांव ने नम आँखों से उन्हें विदाई दी। उनके सम्मान में पूरा गांव एकजुट हो गया और देशभक्ति के गीत गाते हुए उन्हें अंतिम विदाई दी।
कैप्टन अंशुमान सिंह की वीरता और बलिदान की कहानी हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी। उनका जीवन और उनकी शहादत हमें यह सिखाती है कि देशसेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है। उनके बलिदान को हम कभी नहीं भूल सकते और उनकी यादें हमें हमेशा गर्व और प्रेरणा देती रहेंगी।