स्वतंत्रता आंदोलन की गौरवशाली गाथाओं में पैना के वीर अमर शहीदों का अतुलनीय स्थान है। 31 जुलाई 1857 को यहां की वीरों ने अपनी संस्कृति अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर सर्वोच्च बलिदान किया। ऐसे उदाहरण इतिहास में अत्यंत कम मिलते हैं। इस गौरवमयी इतिहास को संरक्षित रखने के साथ ही इसी त्याग व बलिदान की भावना से प्रेरणा प्राप्त कर भविष्य का इतिहास लिखना है।
उक्त बातें जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने बरहज ब्लॉक स्थित ऐतिहासिक पैना शहीद स्मारक स्थल पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के माध्यम से भूले बिसरे स्वतंत्रता सेनानियों को इतिहास के पन्नों में स्थान देकर उनके चरित्र व शौर्य को उजागर किया जा रहा है। पैना की गौरवशाली भूमि पर आकर महान अमर शाहीदों को नमन करना अत्यंत गौरव का विषय है। भावी पीढ़ियों को यहां के अमर शहीदों के संघर्ष एवं संकल्प को आत्मसात करते हुए समाज व राष्ट्र के लिए बेहतर करने का प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने पैना को पर्यटन पटल पर लाने के लिए हर संभव सहयोग देने के लिए आश्वस्त किया।
जिलाधिकारी ने सरयू नदी में दीप प्रवाहित कर अमर शहीदों को श्रद्धाजंलि अर्पित की। इस दौरान उन्होंने पैना गांव की छात्रा कोमल को 97 प्रतिशत से अधिक नंबर लाकर टॉप करने पर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि इसी गांव की छात्रा मिली ने अच्छे अंक लाकर भारत में प्रथम स्थान प्राप्त किया है जो यहाँ के गौरव को बढ़ाता है। जिलाधिकारी ने प्रोफेसर दिनेश कुमार सिंह द्वारा लिखित 1857 की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में ग्राम पैना, जनपद देवरिया का योगदान एवं संघर्ष नामक पुस्तक का विमोचन भी किया।
कार्यक्रम के अवसर पर उप जिलाधिकारी गजेंद्र कुमार सीओ बरहज, रवि प्रताप सिंह, डॉ डी के सिंह, डॉ वीके सिंह, चन्द्र भूषण तिवारी, अटल कुमार सिंह, ईश्वर चंद तिवारी, सतेन्द्र नाथ उपाध्याय, मृत्युंजय सिंह, अंकित सिंह, चन्द्र प्रकाश सिंह, घनश्याम सिंह, सुनील कुमार कुशवाहा, राम प्रकाश सिंह, नवनीत कुमार सिंह, गोविंद कश्यप आदि उपस्थित रहे।