Deoria News: देवरिया में आरक्षी भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा: बायोमैट्रिक चेकिंग में पकड़े गए दो युवक, पुलिस ने किया गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद के थाना कोतवाली क्षेत्रांतर्गत स्थित बाबा राघव दास इंटर कॉलेज में 24 अगस्त 2024 को चल रही आरक्षी भर्ती परीक्षा के दौरान फर्जीवाड़े का एक बड़ा मामला सामने आया है। परीक्षा के द्वितीय पाली में, बायोमैट्रिक चेकिंग के दौरान एक युवक विनय तिवारी को फर्जी परीक्षार्थी के रूप में पकड़ा गया। वह असल परीक्षार्थी राकेश यादव के स्थान पर परीक्षा दे रहा था। इस घटना ने परीक्षा की शुचिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

पकड़ा गया युवक विनय तिवारी, बिहार के भोजपुर जिले के मनेर थाना क्षेत्र के भगू टोला का निवासी है। उसने खुद को असली परीक्षार्थी राकेश यादव के रूप में प्रस्तुत किया था, जो कि बलिया जिले के रसड़ा थाना क्षेत्र के परसियां का रहने वाला है। बायोमैट्रिक चेकिंग के दौरान जब उसकी पहचान सत्यापित की गई, तब इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।

पुलिस के अनुसार, विनय तिवारी ने राकेश यादव के स्थान पर परीक्षा देने की योजना बनाई थी। इसके लिए उसने परीक्षा हॉल में राकेश यादव के नाम से प्रवेश किया। हालांकि, परीक्षा की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और बायोमैट्रिक चेकिंग प्रणाली के कारण उसकी यह चालाकी पकड़ी गई। बायोमैट्रिक चेकिंग के दौरान जब विनय के फिंगरप्रिंट्स का मिलान असली परीक्षार्थी राकेश यादव के फिंगरप्रिंट्स से नहीं हुआ, तो उसकी धोखाधड़ी का पर्दाफाश हो गया।

इस घटना के बाद परीक्षा केंद्र पर मौजूद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए विनय तिवारी और असली परीक्षार्थी राकेश यादव दोनों को हिरासत में ले लिया। पुलिस ने दोनों अभियुक्तों के खिलाफ धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (कूटरचना), 471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस द्वारा की जा रही जांच में यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या इस फर्जीवाड़े में और लोग भी शामिल हैं और क्या इससे पहले भी इस तरह के किसी अपराध को अंजाम दिया गया है।

पुलिस द्वारा की गई प्रारंभिक पूछताछ में विनय तिवारी ने स्वीकार किया है कि उसने परीक्षा में राकेश यादव के स्थान पर बैठने की योजना बनाई थी। हालांकि, पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस फर्जीवाड़े के पीछे और कौन-कौन लोग शामिल हैं और क्या इस गिरोह का नेटवर्क और भी बड़ा है। पुलिस ने दोनों अभियुक्तों को न्यायालय में पेश करने के लिए तैयारी कर ली है और उनकी रिमांड के लिए आवेदन भी किया जा रहा है, ताकि और अधिक जानकारी हासिल की जा सके।

आरक्षी भर्ती परीक्षा में इस तरह के फर्जीवाड़े का सामने आना न केवल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे कुछ लोग गलत तरीके से अपने उद्देश्य को हासिल करने की कोशिश करते हैं। ऐसे मामलों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी को रोका जा सके और परीक्षाओं की पवित्रता को बनाए रखा जा सके।

इस घटना के बाद से परीक्षा केंद्र पर सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा कर दिया गया है। परीक्षा आयोजकों ने भी सभी परीक्षार्थियों को ईमानदारी से परीक्षा देने की सलाह दी है और उन्हें चेतावनी दी है कि किसी भी प्रकार के फर्जीवाड़े या धोखाधड़ी में शामिल पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही, अन्य परीक्षा केंद्रों पर भी सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।

इस घटना ने न केवल शिक्षा व्यवस्था पर बल्कि समाज के नैतिक मूल्यों पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। जब तक हम सभी मिलकर ऐसे फर्जीवाड़ों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाते, तब तक समाज में इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी। पुलिस और परीक्षा अधिकारियों को इस घटना से सीख लेते हुए भविष्य में और अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है, ताकि किसी भी प्रकार के फर्जीवाड़े को रोका जा सके और परीक्षा की निष्पक्षता और विश्वसनीयता को बनाए रखा जा सके।

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