
उत्तर प्रदेश, भारत के सबसे बड़े और जनसंख्या में अग्रणी राज्यों में से एक है। इसका मौसम वर्षों से काफी बदलाव के दौर से गुजर रहा है। परंपरागत रूप से यूपी में मौसम चक्र बहुत स्पष्ट हुआ करता था गर्मी, मानसून और सर्दी तीनों ऋतुएं अपने समय पर आती थीं और सामान्य रूप से व्यवहार करती थीं। लेकिन अब यह स्थिरता टूटती दिख रही है। मौसम की अनिश्चितता, असमय बारिश, बेमौसम गर्मी व ठंड, और प्राकृतिक आपदाएं जैसे सूखा या बाढ़ अधिक सामान्य हो गई हैं। आइए समझते हैं इसके प्रमुख कारण और भविष्य की संभावनाएं।
मौसम में बदलाव के प्रमुख कारण:
- जलवायु परिवर्तन (Climate Change):
वैश्विक स्तर पर हो रहे जलवायु परिवर्तन का सीधा असर उत्तर प्रदेश के मौसम पर भी पड़ रहा है। ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन, औद्योगिक प्रदूषण, और कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ती मात्रा से धरती का तापमान बढ़ रहा है। इसके कारण मौसम चक्र असामान्य हो गया है।वनों की कटाई (Deforestation):
उत्तर प्रदेश में तेजी से बढ़ते शहरीकरण और खेती के विस्तार के चलते वनों की कटाई बड़े पैमाने पर हुई है। वृक्षों की कमी से वर्षा चक्र बाधित होता है और स्थानीय मौसम में असंतुलन पैदा होता है।भू-जल स्तर में गिरावट:
अत्यधिक जल दोहन और बारिश के पानी को संरक्षित न करने के कारण भू-जल स्तर लगातार गिर रहा है। इससे सूखा पड़ने की संभावना बढ़ी है और मौसम पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।शहरीकरण और प्रदूषण:
लखनऊ, कानपुर, वाराणसी जैसे शहरों में तेजी से बढ़ते वाहन, फैक्ट्रियां और निर्माण कार्य वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं। इससे हवा की गुणवत्ता घट रही है और वायुमंडलीय तापमान में वृद्धि हो रही है।- असंतुलित कृषि प्रणाली:
अत्यधिक रासायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग, जल संसाधनों का अत्यधिक उपयोग, और परंपरागत कृषि प्रणाली से हटने के कारण भी पर्यावरण पर दबाव बढ़ा है जिससे मौसम चक्र पर असर पड़ा है।
आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश का मौसम कैसा रहेगा?
- अत्यधिक तापमान की संभावना:
आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश में गर्मी के दिनों की संख्या बढ़ सकती है और तापमान 48°C तक भी पहुंच सकता है, खासकर बुंदेलखंड और पश्चिमी यूपी के क्षेत्रों में। - असमान वर्षा वितरण:
मानसून अब नियमित नहीं रहा। कुछ क्षेत्रों में बहुत अधिक बारिश होती है जबकि कुछ इलाके सूखे की चपेट में आ जाते हैं। भविष्य में वर्षा का यह असंतुलन और बढ़ सकता है। - कोहरे और ठंड में वृद्धि:
सर्दियों में कोहरा अधिक घना और लंबा होता जा रहा है। इससे न केवल यातायात प्रभावित होता है बल्कि स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। भविष्य में कोहरे की घटनाएं और बढ़ सकती हैं। - बाढ़ और सूखे की बढ़ती घटनाएं:
गंगा, घाघरा, शारदा जैसी नदियों में मानसून के दौरान अचानक जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा बना रहता है। वहीं दूसरी ओर बुंदेलखंड जैसे क्षेत्र सूखे से प्रभावित रहते हैं।
उत्तर प्रदेश के मौसम में बदलाव गंभीर चिंता का विषय है। इसका मुख्य कारण मानव जनित गतिविधियां, जैसे प्रदूषण, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन हैं। यदि यह प्रक्रिया ऐसे ही चलती रही, तो आने वाले दिनों में राज्य को और अधिक भीषण मौसम स्थितियों का सामना करना पड़ेगा। इससे बचने के लिए हरित क्षेत्र बढ़ाना, जल संरक्षण करना, स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना और पर्यावरणीय जागरूकता आवश्यक है। राज्य और नागरिकों को मिलकर सतत विकास की ओर कदम बढ़ाना होगा, ताकि भविष्य में मौसम की इन विकट चुनौतियों से बचा जा सके।