जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण देवरिया तथा यूनिसेफ के संयुक्त तत्वाधान में कलेक्ट्रेट सभागार में चल रहे आपदा जोखिम न्यूनीकरण के चार दिवसीय कार्यशाला के द्वितीय दिवस सत्र का शुभारंभ

जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण देवरिया तथा यूनिसेफ के संयुक्त तत्वाधान में कलेक्ट्रेट सभागार में चल रहे आपदा जोखिम न्यूनीकरण के चार दिवसीय कार्यशाला के द्वितीय दिवस सत्र का शुभारंभ प्रशिक्षक अजीत तिवारी तथा पंकज कुमार ने पुनरावलोकन के साथ पूर्व के दिवस में बाढ़ तथा स्कूल आपदा प्रबंधन और WASH पर चर्चा किया गया| । इसके बाद मंडलीय सलाहकार यूनिसेफ विजय चौबे ने बाल स्वास्थ्य पर चर्चा करते हुए बच्चों के स्वास्थ्य के लिए विभिन्न विभागों द्वारा किए जाने वाले कार्यों तथा दायित्वों के संदर्भ में उपस्थित सभी दसों विभागों के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया । उसके बाद सभी अपर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सभी प्रतिभागी 12:00 बजे से बरहज विकास खंड के भदिला प्रथम ग्राम के लिए प्रस्थान किए । वहां पर अपर जिलाधिकारी नागेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि किताबी ज्ञान के साथ-साथ प्रयोगात्मक ज्ञान भी प्रत्येक प्रशिक्षण की कड़ी होनी चाहिए। उसी के क्रम में आज यहां सभी प्रतिभागी एकत्र हुए हैं, उन्होंने कहा कि बाढ़ एक ऐसी विभीषिका है जिसमें उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का ज्यादातर हिस्सा प्रभावित रहता है और यहां के लोगों के जनजीवन पर भी इसका काफी प्रभाव पड़ता है। उनकी फसलें, उनके बच्चों का स्वास्थ्य, शिक्षा तथा उनका व्यापार भी बाढ़ के कारण प्रतिवर्ष प्रभावित होता है। इसलिए बाढ़ से बचाव के तरीकों पर उन्हें बेहतर तरीके से अवगत कराना नितांत आवश्यक है ।
उप जिलाधिकारी बरहज गजेंद्र कुमार ने कहा कि शासन स्तर पर बाढ़ पीड़ितों के लिए हर संभव सहायता उपलब्ध है , चाहे वह नाव की व्यवस्था हो, राशन की व्यवस्था हो, चारा या प्रकाश , इन सभी तरह की व्यवस्थाओं से गांव के लोगों को जोड़ा जा रहा है और प्रशासन अपने स्तर से बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध कराए रखा है।
इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी नागेन्द्र कुमार सिंह जी द्वारा यूनिसेफ के द्वारा उपलब्ध कराए गए सरफेस वाटर प्यूरीफायर प्लांट भी ग्रामीणों को सौंपा गया तथा यूनिसेफ के विशेषज्ञ धर्मेंद्र कुमार ने उस यंत्र को संचालित करने के विधियों के बारे में उपस्थित ग्रामीणों को विस्तार से जानकारी प्रदान किया। साथ ही उन्होंने दूषित जल को प्यूरीफायर मशीन से साफ करके उसे पीने लायक करके दिखाया भी । इस अवसर पर उन्होंने दूषित जल में पाए जाने वाले हानिकारक तत्व को भी जल गुणवत्ता की जांच के माध्यम से बताया तथा इनसे होने वाली बीमारियों के संदर्भ में भी ग्रामीणों को अवगत कराया ।
यूनिसेफ मंडलीय विशेषज्ञ वाश कमलेश कुमार ने कहा कि किसी भी आपदा के समय सबसे बड़ी समस्या पेयजल की होती है यह वाटर प्यूरीफायर ग्रामीणों के लिए एक बेहतर विकल्प साबित होगा जिससे कि दूषित जल के सेवन से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है। इस अवसर पर यूनिसेफ के आपदा विशेषज्ञ विजय प्रताप सिंह ने आकाशीय बिजली से बचाव के तरीकों पर चर्चा करते हुए कहा कि आकाशीय बिजली से बचने का सबसे बेहतर विकल्प है कि आप सुरक्षित स्थान में शरण ले। साथ ही साथ किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का उपयोग आकाशीय बिजली के अलर्ट मिलने के बाद न करें ।साथ ही उन्होंने दामिनी ऐप के संदर्भ में भी ग्रामीणों को विस्तार से जानकारी प्रदान किया। इस अवसर पर आपदा के वरिष्ठ प्रशिक्षक अजीत तिवारी ने सर्पदंश के संदर्भ में ग्रामीणों को अवगत कराते हुए कहा कि सर्प दंश का सबसे बेहतर विकल्प अस्पतालों में उपलब्ध है। किसी भी झाड़-फूंक के चक्कर में न पड़कर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र की सेवाओं का लाभ लेकर व्यक्ति की जान सुगमता से बचाई जा सकती है ।
इस अवसर पर आपदा विशेषज्ञ पंकज कुमार,डेटा मॉनिटर विकास कुशवाहा, रामकृपाल,फडीश्वर त्रिपाठी, गोपाल सिंह, कौशल किशोर सिंह, शशि सिंह, एस एन तिवारी,आदि लोग उपस्थित रहे।

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