डिजिटल दौर में मोबाइल फोन अब सिर्फ बातचीत का साधन नहीं रह गया है। यही मोबाइल आज कई परिवारों की कमाई, शांति और भविष्य निगलने का कारण भी बनता जा रहा है। सोशल मीडिया पर लगातार दिखने वाले कैसीनो और स्लॉट गेम्स इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। Fortune Gems 500 जैसे गेम चमक-दमक और झूठे वादों के सहारे लोगों को ऐसे जाल में फंसाते हैं, जहां से निकलना आसान नहीं होता।

Facebook, Instagram, YouTube और Google पर जब कोई यूज़र स्क्रॉल करता है, तो अचानक एक विज्ञापन सामने आता है। लिखा होता है फ्री 500 रुपये पाएं, फ्री 2000 रुपये का बोनस, एक क्लिक में बड़ा जैकपॉट। देखने में यह मौका लगता है, लेकिन असल में यही बर्बादी की पहली सीढ़ी होती है।
यूज़र जैसे ही इस लालच में आकर ऐप इंस्टॉल करता है, उसे बताया जाता है कि खाते में फ्री पैसा आ गया है। लेकिन यह पैसा असली नहीं होता। लॉगिन करते ही बोनस के नाम पर 20 या 25 रुपये दिए जाते हैं और उसी से खेल शुरू कराया जाता है। शुरुआत में गेम जानबूझकर यूज़र को जिताता है। कभी 100 रुपये, कभी 150, तो कभी 200 रुपये जीत दिखा दिए जाते हैं। यहीं पर दिमाग को भरोसा हो जाता है कि यह खेल सच में पैसा देता है।
इसके बाद असली खेल शुरू होता है। जैसे ही यूज़र अपने पैसे डालता है, जीत का सिलसिला अचानक थम जाता है। जो भी पैसा जीता गया था, वह कुछ ही राउंड में वापस चला जाता है। हार के बाद यूज़र खुद को समझाता है कि थोड़ी सी गलती हो गई, अगली बार जरूर जीत होगी। यही सोच उसे बार-बार पैसा डालने पर मजबूर कर देती है।
इस गेम की बनावट सिर्फ खेलने के लिए नहीं, बल्कि इंसान के दिमाग को फंसाने के लिए की गई होती है। जब यूज़र जीतता है, तो स्क्रीन पर सोने के सिक्के उछलते हैं, तेज आवाज होती है, चमकदार रोशनी दिखाई जाती है और ऐसा माहौल बनाया जाता है जैसे कोई बड़ी उपलब्धि हासिल हो गई हो। दिमाग को खुशी का झटका मिलता है और वह उस पल को दोबारा पाना चाहता है।
लेकिन जब यूज़र हारता है, तो कोई आवाज नहीं होती, कोई संकेत नहीं मिलता, कोई चेतावनी नहीं दिखाई जाती। हार को इस तरह छुपाया जाता है कि इंसान को महसूस ही नहीं होता कि वह कितना नुकसान कर चुका है। धीरे-धीरे यही प्रक्रिया आदत में बदल जाती है। व्यक्ति काम पर ध्यान देना छोड़ देता है, परिवार से दूर होने लगता है और हर वक्त उसी गेम के बारे में सोचता रहता है।
सच्चाई यह है कि Fortune Gems 500 जैसे गेम में कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक जीत नहीं सकता। क्योंकि यह खेल यूज़र को जिताने के लिए नहीं, बल्कि कंपनी को कमाने के लिए बनाया गया होता है। जीत सिर्फ दिखावे के लिए होती है, ताकि अगला शिकार तैयार किया जा सके। अंत में नुकसान हमेशा यूज़र का ही होता है।
सबसे खतरनाक बात यह है कि इन गेम्स को बच्चों और युवाओं तक आसानी से पहुंचाया जा रहा है। मोबाइल में दिखने वाला एक विज्ञापन कब इंसान की ज़िंदगी पर भारी पड़ जाए, इसका अंदाज़ा किसी को नहीं होता।
आज जरूरत है समझने की कि यह आसान कमाई नहीं, बल्कि डिजिटल जुआ है। अगर मोबाइल पर इस तरह का विज्ञापन दिखे, तो उसे मौका न समझें, बल्कि खतरे की घंटी मानें। क्योंकि यह खेल सिर्फ पैसे नहीं छीनता, यह इंसान से उसका समय, उसकी सोच और उसका भविष्य भी छीन लेता है।


