The path to Hades was found several hundred miles from the earth, now can humans also go there?
पताल लोक एक ऐसी दुनिया है जो जमीन की नीचे माना जाता है पौराणिक कहानियों से लेकर लोक कथाओं मैं भी कहा जाता है की धरती के नीचे पताल लोक है बूढ़े बुजुर्गों के मुंह से आज भी सुना जाता है कि धरती के नीचे पताल लोक है और वहां तक पहुंचने के लिए 70 हजार गहराई का गड्ढा खोदना होगा यह करीब इतना ही है जितना हम जैसे मेक्सिको और ब्राजील में पहुंचे जितना दूरी होता है तो पताल लोक सिर्फ एक कल्पना नहीं है बल्कि वैज्ञानिकों ने इसको खोज भी निकाला है आइए अब इसके बारे में हम विस्तृत से जानते हैं कि क्या है यह घटना
वैज्ञानिकों का क्या है कहना what do scientists say
जमीन से लगभग 100 मील नीचे धरती की एक विशेष प्रकार और एक अलग तरह की परत मिली है जो कुछ पिघली हुई चट्टानों की तरह है यह पहली बार है जब एक्सपोर्ट इतनी गहराई तक पहुंच सके हैं और यह अनजान परत एस्थोनोस्पेयर के भीतर है धरती के क्रस्ट के नीचे एक कमजोर परत है जिसमे हमेसा हल-चल बनी रहती है और वैज्ञानिकों के द्वारा कहना है कि इसके अध्ययन में आगे काफी सारी नई बातों को पता लगाया जा सकता है खासकर टेक्टोनिक प्लेटों में हलचल का पता चलेगा जिससे ये भी हो सकता है कि भविष्य में भूकंप आने से पहले ही इसके द्वारा पता लगाया जा सकता है कि कितनी तीव्रता से आने वाली है और किस समय आने वाली है अगर यह सफल रहा अध्ययन तो यह एक बहुत ही सराहनीय और लोगों के हितों के लिए कार्य होगा जिससे लोग पहले ही सतर्क हो जाएंगे और जिसमें जान-माल की नुकसान नहीं होगा
आखिर अध्ययन में क्या मिला what did the study find
यूनिवर्सिटी आफ टैक्सास के तहत हुए अध्ययन में इस बात का पता चला कि जो खोजी गई जो चटान की परत है ये एक जगह पर सीमित नहीं है बल्कि इसका द्वार जमीन की काफी नीचे भाग तक है इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है आने वाले समय यह पता लगाया सकता है कि धरती के अंदर क्या बदलाव होने वाले हैं जब भूकंप के आने से पहले पता चल जाएगा लेकिन विज्ञानिक का कहना है कि एक बात समझ नहीं आ रही कि जो चट्टानी लगने वाली परत पिघलती हुई क्यों लग रही है कुछ समय पहले साइंटिस्ट ने यह माना था कि धरती की जो आंतरिक घुमाओ है वह लगभग बंद हो रही है लेकिन यह जो पिघली हुई चटाने जो मिली है और गतिशील भी लग रही है तो इसको देखते हुए अब इस पर नए सिरे से बात होगी यह इसलिए भी जरूरी है ताकि समझा जा सके कि आगे चलकर धरती में क्या बड़ा बदलाव होगा जो इंसानों पर इसका क्या असर डाल सकता है
भूकंप आने से पहले क्यों नहीं पता लगाया जा सकता है Why earthquakes cannot be detected before they occur
अब तक वैज्ञानिकों का कहना यही है कि भूकंप का पता नहीं लगाया जा सकता यह बहुत ही मुश्किल है खुद यूएस जियोलॉजिकल सर्वे ने माना कि भूकंप का बदलता हुआ रूप इसके प्रेडिक्शन में रोड़ा बन जाता है यह कोई ट्रेन नहीं है जो हल्की चलते चलते फिर तेजी पकड़े यह एकदम से आने वाली आपदा है जो संभलने का भी मौका नहीं देती है खासकर इसका कोई एक्जिट समय का पता नही चलता है मुश्किल पैदा करता है यही कारण है कि वैज्ञानिक यह तो बता पाते हैं कि दुनिया के कौन-कौन से हिस्से भूकंप के लिए ज्यादा संवेदनशील है वहां भूकंप आ सकती हैं और वह कितना खतरा हो सकता है लेकिन भूकंप कब आएगी इसका अभी तक ना कोई यंत्र बना है ना पता लगाया जा सकता है