राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 10 फरवरी 2025 को प्रयागराज पहुंचकर त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई। उनके साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी उपस्थित रहे। राष्ट्रपति के इस पावन स्नान को लेकर श्रद्धालुओं और संत समाज में भारी उत्साह देखा गया। महाकुंभ 2025 की तैयारियों के बीच यह यात्रा न केवल धार्मिक बल्कि प्रशासनिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रही।

त्रिवेणी संगम में पूजा-अर्चना और गंगा आरती
राष्ट्रपति मुर्मू ने संगम स्नान से पहले विधिवत पूजन-अर्चन किया। उन्होंने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर नारियल और फूल अर्पित कर देश की समृद्धि और शांति की प्रार्थना की। संगम तट पर राष्ट्रपति ने विधि-विधान से मंत्रोच्चार के बीच आरती उतारी और भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। स्नान के दौरान उन्होंने श्रद्धालुओं को भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं से जुड़े रहने का संदेश दिया।
राष्ट्रपति ने नाव से संगम का भ्रमण किया और प्रवासी साइबेरियन पक्षियों को दाना भी खिलाया। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे, और एनएसजी कमांडो तथा स्थानीय पुलिस बलों ने चारों तरफ सुरक्षा घेरेबंदी कर रखी थी।
बड़े हनुमान मंदिर और अक्षयवट का दर्शन
संगम स्नान के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रयागराज के प्रसिद्ध बड़े हनुमान मंदिर में दर्शन किए। यहां उन्होंने बजरंग बली की 20 फीट लंबी लेटी हुई प्रतिमा के दर्शन किए और पूजा-अर्चना की। मंदिर के पुजारियों ने उन्हें विशेष प्रसाद भेंट किया और उनके आगमन पर स्वागत किया।
इसके बाद राष्ट्रपति ने अक्षयवट और पातालपुरी मंदिर में भी दर्शन किए। यह स्थान हिंदू आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है और मान्यता है कि अक्षयवट को देखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
महाकुंभ 2025 की तैयारियों का लिया जायजा
राष्ट्रपति का यह दौरा महाकुंभ 2025 की तैयारियों की समीक्षा के लिए भी अहम था। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य अधिकारियों से महाकुंभ की व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी ली। संगम क्षेत्र में साफ-सफाई, सुरक्षा, यातायात प्रबंधन और श्रद्धालुओं के लिए की जा रही व्यवस्थाओं पर विशेष चर्चा की गई।
श्रद्धालुओं में उत्साह, प्रयागराज के लिए ऐतिहासिक दिन
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के प्रयागराज आगमन से स्थानीय निवासियों और श्रद्धालुओं में भारी उत्साह था। संगम क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे, जो राष्ट्रपति को देखने और उनके साथ संगम स्नान का साक्षी बनने आए थे। इस ऐतिहासिक क्षण को कैमरों में कैद करने के लिए मीडियाकर्मियों की भी भारी भीड़ रही।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान
राष्ट्रपति का यह दौरा भारतीय संस्कृति, परंपरा और सनातन धर्म के महत्व को दर्शाने वाला रहा। उन्होंने आस्था, परंपरा और राष्ट्रीय एकता के संदेश को आगे बढ़ाया। प्रयागराज का यह कार्यक्रम आध्यात्मिकता और संस्कृति के सम्मान का प्रतीक बना।
महाकुंभ 2025 से पहले इस यात्रा को ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे कुंभ मेले की तैयारियों को नई दिशा मिलेगी और प्रयागराज की धार्मिक महत्ता को और अधिक बल मिलेगा।