गोरखपुर मुहर्रम के मौके पर जंगल मातादीन से हुसैन की याद में ढोल ताशे के साथ निकाल गया भव्य जुलूस

विनोद पासवान की रिपोर्ट

गोरखपुर मोहर्रम की सातवीं तारीख को जंगल मातादीन से हुसैन अलैहिस्सलाम की याद में जुलूस निकाला गया जिसका नेतृत्व सेराज अहमद खान समाज सेवक एवं पार्षद पद के प्रत्याशी वार्ड नंबर 13 ने किया जुलूस के साथ गुलशन ई मदीना मस्जिद के सदर जफर अली मंसूरी मौजूद रहे साथ में मुख्य खिलाड़ियों में मोहम्मद दिलशाद मोहम्मद इरशाद मोहम्मद इकबाल गास्किन अली उर्फ बड़े मोहम्मद रजा मोहम्मद फैज आदि लोग भी मौजूद रहे जुलूस जंगल मातादीन से महुआ तिराहा होता हुआ *गोड़धैया पुल तक गया वहां से पादरी बाजार होता हुआ अपने रोड जेल बाईपास पर वापस मस्जिद तक लौटा सेराज अहमद खान ने इंसानियत का पैगाम देते हुए कहा कि इस्लाम एक अमन और शांति का मजहब है और इमाम हुसैन की शहादत हमें याद दिलाती है कि हक और इंसाफ के लिए *अगर सर को कटाना पड़े ,तो भी पीछे नहीं हटना चाहिए। और वक्त पड़े तो एक दूसरे के साथ चैनो अमन के साथ दोस्ती निभानी चाहिए,सेराज ने बताया कि इस पर्व में अपनों को याद कर उन्हें दिल से उनके उस कारनामे को सलाम करते है,जिसके वजह से आज एक दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान सलामत है,और इसी का एक जीता जागता उदाहरण है किहिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस मे हम भाई भाई उन्होंने कहा की हिन्दू भाई हम लोगो के साथ ताजिया बनाते भी है। साथ मे चलते है,जो हिन्दू मुस्लिम एकता की पहचान है,सेराज कहा कि हमारी योगी सरकार से मांग है कि अगर कावड़ियों पर फूल बरसा रहे है तो गोरखपुर उनका गढ़ है, तो उन्हें भी मोहर्रम के जुलूस पर फूल बरसाने की कृपा करें,जो एक संदेश कायम होगा कि आज भी हिन्दू मुस्लिम एकता जिंदा है
उन्होंने कहा कि हम प्रसाशन की सभी गाइड लाइन मान रहे है,वो हमारे सहयोग करे। मोहर्रम की सातवीं तारीख को जंगल मातादीन से हुसैन अलैहिस्सलाम की याद में जुलूस निकाला गया जिसका नेतृत्व सेराज अहमद खान समाज सेवक एवं पार्षद पद के प्रत्याशी वार्ड नंबर 13 ने किया जुलूस के साथ गुलशन ई मदीना मस्जिद के सदर जफर अली मंसूरी मौजूद रहे साथ में मुख्य खिलाड़ियों में मोहम्मद दिलशाद मोहम्मद इरशाद मोहम्मद इकबाल गास्किन अली उर्फ बड़े मोहम्मद रजा मोहम्मद फैज आदि लोग भी मौजूद रहे जुलूस जंगल मातादीन से महुआ तिराहा होता हुआ गोड़धैया पुल तक गया वहां से पादरी बाजार होता हुआ अपने रोड जेल बाईपास पर वापस मस्जिद तक लौटा ,
सेराज अहमद खान ने इंसानियत का पैगाम देते हुए कहा कि इस्लाम एक अमन और शांति का मजहब है। और इमाम हुसैन की शहादत हमें याद दिलाती है कि हक और इंसाफ के लिए अगर सर को कटाना पड़े ,तो भी पीछे नहीं हटना चाहिए। और वक्त पड़े तो एक दूसरे के साथ चैनो अमन के साथ दोस्ती निभानी चाहिए,सेराज ने बताया कि इस पर्व में अपनों को याद कर उन्हें दिल से उनके उस कारनामे को सलाम करते है,जिसके वजह से आज एक दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान सलामत है,और इसी का एक जीता जागता उदाहरण है किहिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस मे हम भाई भाई उन्होंने कहा की हिन्दू भाई हम लोगो के साथ ताजिया बनाते भी है। साथ मे चलते है,जो हिन्दू मुस्लिम एकता की पहचान है, सेराज कहा कि हमारी योगी सरकार से मांग है कि अगर कावड़ियों पर फूल बरसा रहे है तो गोरखपुर उनका गढ़ है, तो उन्हें भी मोहर्रम के जुलूस पर फूल बरसाने की कृपा करें,जो एक संदेश कायम होगा कि आज भी हिन्दू मुस्लिम एकता जिंदा है,उन्होंने कहा कि हम प्रसाशन की सभी गाइड लाइन मान रहे है,वो हमारे सहयोग करे*

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