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देवरिया में मनरेगा के जरिए गांवों में तेजी से हो रहा काम, जानिए 21 मई 2025 को कहां-कहां लगे कितने मजदूर – पर क्या ये सब सच में धरातल पर हो रहा है?

21 मई 2025 को मनरेगा की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद में मनरेगा योजना के तहत कई ग्राम पंचायतों में बड़ी संख्या में मजदूर कार्यरत दिखाए गए हैं। इन आंकड़ों को देखकर पहली नजर में लगता है कि गांवों का तेजी से विकास हो रहा है, लेकिन यह सवाल भी उठता है कि क्या यह कार्य वास्तव में धरातल पर हो रहे हैं या फिर यह सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं?

सबसे पहले बात करें भटनी ब्लॉक की तो वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के अनुसार अगहिला ग्राम पंचायत में 226 मजदूरों की हाजिरी दर्ज की गई है। वहीं लाल चक गांव में 107 मजदूर मनरेगा के तहत कार्य कर रहे हैं। यहां पर चकबंदी जैसे महत्वपूर्ण कार्य चल रहे हैं, ऐसा वेबसाइट पर दर्ज है।

सदर ब्लॉक की बात करें तो लही पर उर्फ रतनपुरा ग्राम पंचायत में 207 मजदूरों की हाजिरी दर्ज है। यह आंकड़े यह दिखाते हैं कि मनरेगा के जरिए देवरिया के गांवों में कार्य चल रहा है और ग्रामीणों को रोजगार मिल रहा है।

लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या ये मजदूर वास्तव में काम कर रहे हैं? क्या ये विकास कार्य वाकई धरातल पर हो रहे हैं या फिर केवल कागजी आंकड़ों से गांवों का विकास दिखाने की कोशिश की जा रही है?

अगर वाकई में ये कार्य पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ हो रहे हैं, तो यह देवरिया जिले के लिए एक सकारात्मक संकेत है। गांवों का विकास मनरेगा जैसी योजनाओं के जरिए ही संभव है। लेकिन अगर इसमें भ्रष्टाचार या गड़बड़ी हो रही है, तो यह गंभीर चिंता का विषय है।

इसलिए ज़रूरी है कि जिले के उच्च अधिकारी इन कार्यों का स्थलीय निरीक्षण करें। केवल वेबसाइट पर आंकड़े डाल देना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि योजना का लाभ वास्तविक जरूरतमंद ग्रामीणों तक पहुंचे।

देवरिया के अन्य ब्लॉकों की जानकारी भी वेबसाइट पर उपलब्ध है, जिनमें मजदूरों की संख्या और कार्यों की स्थिति दर्ज की गई है। इन आंकड़ों की पड़ताल करने से साफ हो जाएगा कि गांवों में वास्तव में विकास हो रहा है या नहीं।

कटाक्ष यही है कि अगर मनरेगा का उपयोग केवल आंकड़ों की बाजीगरी तक सीमित रह गया तो यह योजना अपना उद्देश्य खो देगी। लेकिन यदि ईमानदारी से क्रियान्वयन हुआ तो वह दिन दूर नहीं जब देवरिया जिले के गांव भी सुविधाओं के मामले में शहरों को टक्कर देने लगेंगे।

मनरेगा केवल रोजगार योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत के विकास की नींव है – बशर्ते यह बिना भ्रष्टाचार और पूरी पारदर्शिता के साथ लागू की जाए।

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