History of Balrampur: बलरामपुर का इतिहास,ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि

भौगोलिक स्थिति और प्रशासनिक गठन: बलरामपुर, उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण जिला, राप्ती नदी के किनारे स्थित है। इसका जिला मुख्यालय बलरामपुर शहर में है। 25 मई 1997 को जी.डी. नं. 1428/1-5/97/172/85-आर-5 लखनऊ द्वारा बलरामपुर जिले का गठन किया गया। यह जिला उत्तर में नेपाल, पूर्व में सिद्धार्थ नगर, पश्चिम में श्रावस्ती, और दक्षिण में गोंडा जिलों से घिरा हुआ है। बलरामपुर का क्षेत्रफल 336917 हेक्टेयर है, जिसमें से 221432 हेक्टेयर कृषि सिंचित क्षेत्र है। इस जिले का उत्तरी भाग हिमालय की तराई क्षेत्र में स्थित है।

धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर: बलरामपुर का तुलसीपुर, जिला मुख्यालय से लगभग 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, देवी पाटन मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी दुर्गा के ५१ शक्तिपीठों में शामिल है। इसके अलावा, बलरामपुर श्रावस्ती के निकट है, जहाँ भगवान गौतम बुद्ध ने अंगुलीमाल का आध्यात्मिक परिवर्तन किया था।

बलरामपुर राजवंश और शिक्षण संस्थान: बलरामपुर राजवंश का संबंध जनवार क्षत्रिय वंश से है। वर्तमान में महाराजा धर्मेन्द्र प्रसाद सिंह इस राजवंश का नेतृत्व कर रहे हैं। इस राजपरिवार द्वारा स्थापित एमएलके पीजी कॉलेज और महाराजा पटेश्वरी प्रसाद इंटर कॉलेज जैसी प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान बलरामपुर में स्थित हैं। इसके अलावा, लखनऊ में स्थित बलरामपुर अस्पताल भी राजपरिवार द्वारा स्थापित एक धर्मार्थ संस्थान है।

औद्योगिक महत्व: बलरामपुर में बीसीएम-बलरामपुर चिनी मिल्स लिमिटेड, भारत की सबसे बड़ी चीनी उत्पादन इकाई स्थित है। इस मिल का स्वामित्व ब्रिटिश शासन के दौरान बीआईसी (ब्रिटिश इंडिया कॉर्पोरेशन) के पास था। वर्तमान में, पद्मश्री मीनाक्षी सरावगी इसके प्रबंध निदेशक और मालिक हैं। इसके अलावा, बजाज हिंदुस्तान की एक चीनी मिल भी जिले में स्थित है।

भौगोलिक आंकड़े: बलरामपुर 27.43° N 82.18° E पर स्थित है और इसकी औसत ऊँचाई 105 मीटर (344 फीट) है।

बलरामपुर की ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर इसे उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण जिलों में से एक बनाती है। यहां के शिक्षण संस्थान और औद्योगिक इकाइयाँ जिले के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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