पूर्वांचल को विकास की नई दिशा देने वाला गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बनने जा रहा है। इस एक्सप्रेसवे की लंबाई 519 किलोमीटर होगी, जो गोरखपुर से शुरू होकर पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी तक जाएगी। यह प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण हाई-स्पीड कॉरिडोर है, जो तीनों राज्यों के आर्थिक और सामाजिक विकास में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।
देवरिया के 25 गांवों के लिए बड़ा अवसर
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे देवरिया के 25 गांवों से होकर गुजरेगा, जिससे यहां के लोगों को नई संभावनाएं मिलेंगी। इस परियोजना के लिए देवरिया में लगभग 150 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। इसके अलावा गोरखपुर और कुशीनगर के कुल 111 गांव भी इस परियोजना से सीधे जुड़े होंगे। यह एक्सप्रेसवे गोरखपुर के जगदीशपुर से शुरू होकर कुशीनगर के तमकुहीराज तहसील के गांवों से होकर बिहार के गोपालगंज बॉर्डर तक जाएगा।
सफर होगा तेज और सुविधाजनक
गोरखपुर से सिलीगुड़ी की मौजूदा दूरी करीब 15 घंटे में तय होती है। इस एक्सप्रेसवे के बन जाने के बाद यात्रा का समय घटकर मात्र 9 घंटे रह जाएगा। इसके निर्माण से गोरखपुर, कुशीनगर और देवरिया से पश्चिम बंगाल तक का सफर न केवल तेज बल्कि बेहद सुविधाजनक हो जाएगा। एक्सप्रेसवे बनने के बाद इन तीनों जिलों को बड़ा लाभ मिलेगा, और व्यापार के लिए नए अवसर खुलेंगे।
ग्रीनफील्ड परियोजना के तहत निर्माण
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे एक ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट होगा। इसका निर्माण आबादी वाले क्षेत्रों से हटकर किया जाएगा ताकि यातायात बाधित न हो और पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुंचे। इसके निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी। निर्माण कंपनी ने डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार कर एनएचएआई को सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
पूर्वांचल को करेगा मालामाल
यह एक्सप्रेसवे पूर्वांचल के छह जिलों गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, और बिहार के आठ जिलों पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज से गुजरेगा। इसके साथ ही, यह पश्चिम बंगाल में 18.97 किलोमीटर के क्षेत्र में जाएगा। एक्सप्रेसवे को बाद में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जोड़ने की भी योजना है, जिससे दिल्ली तक का सफर आसान हो जाएगा।
आर्थिक विकास को देगा बढ़ावा
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे से व्यापार और उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। गोरखपुर और कुशीनगर के गांवों के लिए यह परियोजना आर्थिक समृद्धि का मार्ग खोलेगी। व्यापारिक गतिविधियों के लिए नए रास्ते खुलेंगे, और क्षेत्रीय उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा।
कुशीनगर और देवरिया के किन गांवों से गुजरेगा?
कुशीनगर के तमकुहीराज तहसील के 42 गांव, हाटा के 19 गांव और कसया के 13 गांव इस परियोजना का हिस्सा होंगे। इसके साथ ही, चौरी चौरा के 14 गांव और देवरिया सदर के 25 गांव भी इस एक्सप्रेसवे के दायरे में आएंगे।
2028 तक पूरा होने का लक्ष्य
इस महत्वाकांक्षी परियोजना को 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। एक्सप्रेसवे के पूरा होने के बाद गोरखपुर और सिलीगुड़ी के बीच यात्रा समय में भारी कटौती होगी। इससे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ेगी और उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के बीच एक मजबूत आर्थिक और सामाजिक रिश्ता स्थापित होगा।
पूर्वांचल की नई दिवाली
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे देवरिया, गोरखपुर और कुशीनगर के लोगों के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक होगा। इसे पूर्वांचल के विकास का नया अध्याय कहा जा सकता है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद इन जिलों में आर्थिक विकास, रोजगार के अवसर और व्यापारिक गतिविधियों में अभूतपूर्व वृद्धि होगी।