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देवरिया के सलेमपुर के पूर्व भाजपा सांसद रवींद्र कुशवाहा ने हार के बाद भाजपा नेता और राज्य मंत्री पर लगाए गंभीर आरोप

उत्तर प्रदेश के सलेंपुर लोकसभा क्षेत्र में हुए चुनाव के नतीजे के बाद पूर्व सांसद रविन्द्र कुशवाहा ने योगी आदित्यनाथ के मंत्री विजय लक्ष्मी और भाजपा नेता पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने हार का मुख्य कारण पार्टी के भीतर चल रही गुटबाजी और नेताओं के बीच आपसी विवाद को बताया है।

आरोपों का बवंडर

रविन्द्र कुशवाहा ने अपनी हार के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि भाजपा के भीतर की गुटबाजी और नेताओं की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं ने उन्हें चुनाव हारने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने सीधे तौर पर योगी सरकार के मंत्री विजय लक्ष्मी और कुछ अन्य भाजपा नेताओं पर निशाना साधा और कहा कि उन्होंने चुनाव के दौरान उनके खिलाफ साजिश रची।

पार्टी के भीतर असंतोष

पूर्व सांसद का दावा है कि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने जानबूझकर उनके खिलाफ काम किया और पार्टी के कार्यकर्ताओं को उनके समर्थन में काम करने से रोका। उन्होंने कहा कि पार्टी के कई कार्यकर्ताओं ने उनके साथ धोखा किया और पार्टी के भीतर चल रहे विवाद ने उन्हें हार की ओर धकेल दिया।

जनता की नाराजगी

रविन्द्र कुशवाहा ने यह भी कहा कि जनता की नाराजगी का सामना उन्हें इसलिए करना पड़ा क्योंकि भाजपा सरकार ने कई वादों को पूरा नहीं किया। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों और योजनाओं का लाभ जनता तक नहीं पहुंच पाया, जिसके चलते लोगों ने विरोध में वोट दिया।

भविष्य की रणनीति

हार के बाद रविन्द्र कुशवाहा ने कहा कि वह अपनी राजनीति का पुनर्मूल्यांकन करेंगे और जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुनेंगे। उन्होंने कहा कि वह भविष्य में पार्टी के भीतर सुधार लाने के लिए काम करेंगे और उन नेताओं के खिलाफ आवाज उठाएंगे जिन्होंने पार्टी को कमजोर किया।

भाजपा की प्रतिक्रिया

भाजपा के वरिष्ठ नेता और योगी आदित्यनाथ के मंत्री विजय लक्ष्मी ने रविन्द्र कुशवाहा के आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि पार्टी के भीतर कोई गुटबाजी नहीं है और सभी नेताओं ने मिलकर चुनाव लड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि रविन्द्र कुशवाहा अपनी हार का दोष दूसरों पर मढ़ रहे हैं और आत्ममंथन करने के बजाय दूसरों पर आरोप लगा रहे हैं।

निष्कर्ष

सलेंपुर लोकसभा चुनाव के बाद पूर्व सांसद रविन्द्र कुशवाहा के आरोपों ने भाजपा के भीतर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। पार्टी के भीतर चल रहे विवाद और नेताओं के बीच आपसी टकराव ने पार्टी की छवि को धक्का पहुंचाया है। अब देखना यह है कि पार्टी इन आरोपों का कैसे सामना करती है और भविष्य में अपनी रणनीति में क्या बदलाव लाती है।

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