वहीं देश के अभी काफी सारे जिले खुले में शौच के अभिशाप से मुक्त हो चुके हैं लेकिन पूर्व उड़ीसा के कुछ पिछड़े इलाकों में आज भी यह समस्या देखने को मिल रही है जिसके चलते यहां की महिलाओं को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है हालांकि यहां की महिलाएं इस समस्या से लड़ने के लिए खुद आगे आई हैं उन्होंने पूरे इलाके को खुले में शौच से मुक्त करने का जिम्मा उठा लिया है सरकार और कुछ स्थानीय एनजीओ की मदद से महिलाएं पूरे इलाके की तस्वीर बदल रही हैं
वहीं महिलाओं का कहना है कि बरसात के दिनों में विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ता था खुले में शौच करने जाने से हमेशा सांप बिच्छू और दूसरे जहरीले कीड़ों का भी डर बना रहता था जिसके चलते कई महिलाएं शौच के लिए दिन के उजाले का इंतजार करती थी जिसके चलते महिलाओं को सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा था
खुले में शौच की वजह से इलाके में कई तरह की बीमारियां फैलती रहती थी इस विकट समस्या को देखते हुए यहां की महिलाएं खुद आगे आई और महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह बनाकर इस क्षेत्र में काम शुरू किया ओडिशा सरकार और UNICEF की मदद से यह महिलाएं पूरी छेत्र को खुले में शौच से मुक्त करने में जुट गई हैं इसको देखते ही देखते महिलाओं का यह काम उड़ीसा के 6 जिलों में फैल गया जिससे आने वाले वक्त में 14 जिलों तक ले जाने की योजना महिलाओं को इस काम की चर्चा पूरे देश दुनिया में हो रही है
महिला खुद बनी राजमिस्त्री
स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अभियान के ज्यादातर काम खुद करती हैं महिलाओं ने खुद राजमिस्त्री बन शौचालय बनाए भारत अभियान की कमान महिलाओं ने ही संभाली महिलाओं के इस प्रयास का नतीजा है कि पूर्वी उड़ीसा के 6 जिले तेजी से खुले में शौच से मुक्त होने की ओर बढ़ रहे हैं जिसके चलते यहां की महिलाएं की जिंदगी में काफी सकारात्मक बदलाव आया है
इस अभियान से महिलाओं में सकारात्मक बदलाव भी दिखे
इस अभियान के मदद से उड़ीसा के हजारों महिलाओं को काम भी मिला है शौचालय की टंकी रिंग बनाने से लेकर इसे लगाने तक तमाम काम महिलाएं खुद करती हैं जिसके बदले उन्हें योजना के तहत उचित मजदूरी भी मिल रही है
खुले में शौच रेफ और छेड़खानी के मामले भी देखने को मिले
वही कुछ रिपोर्ट में यह भी बात सामने आई है खुले में शौच करना महिलाओं की सेहत के साथ उनकी सुरक्षा के लिए भी खतरनाक है खुले में शौच के लिए महिलाओं से रेप और छेड़छाड़ के मामले देशभर में दर्ज होते रहे हैं जिन इलाकों में महिलाओं को घर में शौचालय मिला वहां इस तरह की घटनाएं भी अपने आप मे कम होती चली गई