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देवरिया में गेंदा की फूलों की खेती कर किसान बना लखपति जानिए क्या है तरीका

देवरिया: उत्तर प्रदेश का देवरिया जिला अब गेंदे की खेती के माध्यम से किसानों के लिए एक नई राह तैयार कर रहा है। अपनी सुंदरता, खुशबू और बहुउपयोगिता के कारण गेंदे के फूल न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों का हिस्सा बन रहे हैं, बल्कि इनका औद्योगिक उपयोग भी तेजी से बढ़ रहा है। शादी-विवाह, पूजा-पाठ और धार्मिक आयोजनों के अलावा, अगरबत्ती निर्माण में गेंदे की बढ़ती मांग ने इसे किसानों के लिए एक लाभकारी फसल बना दिया है।

जनपद में धार्मिक आयोजनों, मंदिरों और तीर्थ स्थलों पर गेंदे के फूल की अच्छी खासी मांग रहती है। हालांकि, वर्तमान में देवरिया में इसकी स्थानीय आपूर्ति कम होने के कारण वाराणसी, लखनऊ और अन्य जिलों से गेंदे के फूल आयात किए जा रहे हैं। जनपद में लगभग 95 प्रतिशत गेंदे के फूल बाहर से आते हैं। ऐसे में गेंदे की खेती किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर बन रही है।

किसानों की समृद्धि का उदाहरण: रविशंकर की सफलता कहानी

देवरिया के ग्राम बहोरवा, भाटपाररानी के किसान रविशंकर ने गेंदे की खेती से एक नई मिसाल पेश की है। उन्होंने उद्यान विभाग की अनुसूचित जाति/जनजाति (राज्य सेक्टर) योजना का लाभ उठाकर 0.20 हेक्टेयर जमीन पर गेंदे की खेती शुरू की। विभागीय मार्गदर्शन और ₹12-14 हजार के निवेश से शुरू की गई इस खेती ने उन्हें करीब ₹1 लाख रुपये का मुनाफा दिलाया।

रविशंकर का कहना है कि उद्यान विभाग द्वारा दी गई योजनाओं और समय-समय पर मिली सलाह ने उनकी खेती को सफल बनाया। उनका यह अनुभव अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन रहा है।

सरकारी योजनाओं से मिल रहा है बढ़ावा

जिला उद्यान अधिकारी राम सिंह यादव के अनुसार, देवरिया की जलवायु गेंदे की खेती के लिए अनुकूल है। प्रदेश सरकार किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसलों की ओर प्रेरित कर रही है। वर्तमान में जनपद के 19 किसान गेंदे की व्यवसायिक खेती कर अपनी आय में बढ़ोतरी कर रहे हैं।

सरकार की योजनाओं के तहत किसानों को कुल लागत का 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है, जो ₹16,000 प्रति हेक्टेयर तक है। इसके अलावा, उद्यान विभाग द्वारा तकनीकी जानकारी और प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे छोटे और सीमांत किसान भी इस खेती से लाभ उठा रहे हैं।

गेंदे की खेती से बढ़ती आय और रोजगार के अवसर

गेंदे के फूलों की बढ़ती मांग और जनपद की अनुकूल जलवायु ने किसानों को इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। गेंदे की खेती न केवल किसानों की आय को बढ़ा रही है, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है।

शादी-विवाह और धार्मिक आयोजनों में गेंदे के फूलों की अधिकता के कारण यह फसल किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। इसके अलावा, औद्योगिक उपयोग, जैसे अगरबत्ती और इत्र निर्माण में गेंदे के फूलों की बढ़ती मांग ने इसे एक लाभदायक व्यवसाय बना दिया है।

देवरिया की जलवायु और मिट्टी: गेंदे की खेती के लिए अनुकूल

देवरिया की जलवायु और मिट्टी गेंदे की खेती के लिए बेहद अनुकूल हैं। यहां की मिट्टी में नमी और उपजाऊपन की अधिकता गेंदे के फूलों की अच्छी पैदावार सुनिश्चित करती है। कम लागत और मेहनत में भी किसान इस फसल से अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं।

किसानों के लिए नया अवसर

गेंदे की खेती ने देवरिया के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह फसल न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही है, बल्कि उन्हें नई संभावनाओं की ओर भी ले जा रही है।

सरकार की योजनाओं और विभागीय समर्थन के साथ गेंदे की खेती ने देवरिया के किसानों को एक नया अवसर दिया है। ऐसे में इस फसल को अपनाकर अन्य किसान भी अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं और समृद्धि की ओर बढ़ सकते हैं।

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