देवरिया जिले के लार थाना क्षेत्र के पंचदेवरा गांव में उस वक्त खुशियों का माहौल मातम में बदल गया जब बेटी की शादी के दिन ही उसके पिता ने अंतिम सांस ली। आज बेटी अंजली की बारात आने वाली थी, लेकिन इससे पहले ही उसके पिता चंद्रमा प्रसाद, जो प्राथमिक विद्यालय कठोड़ी के प्रधान अध्यापक थे, अचानक इस दुनिया को अलविदा कह गए।

परिवार की खुशियों को जैसे किसी की नज़र लग गई। जिस दरवाज़े से बेटी की डोली उठनी थी, उसी दरवाज़े से पिता की अर्थी निकल गई। अंजली के हाथों में मेहंदी लगी थी, घर में मंगल गीतों की गूंज थी, रिश्तेदार और परिचित शादी की तैयारियों में व्यस्त थे। लेकिन तभी यह हृदयविदारक घटना घटी जिसने सबको स्तब्ध कर दिया।
बताया गया कि चंद्रमा प्रसाद अपनी बेटी की शादी को लेकर बेहद उत्साहित थे। उन्होंने अपने जीवन की सारी पूंजी इस विवाह में लगा दी थी। शादी की तैयारियाँ कई दिनों से चल रही थीं। आज बारात आने वाली थी और परिवार में सब कुछ योजना के मुताबिक हो रहा था। लेकिन सुबह अचानक उन्हें सीने में दर्द उठा और कुछ ही पलों में उनका निधन हो गया। डॉक्टरों ने बताया कि यह दिल का दौरा था।
उनकी मृत्यु की खबर सुनते ही बेटी अंजली और परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। घर में जहां शहनाइयां बजनी थीं, वहां अब रोने-बिलखने की आवाजें गूंजने लगीं। अंजली के हाथों में मेंहदी थी, लेकिन पिता के कंधे से उनका अंतिम संस्कार किया गया।
गांव के ही एक आम्र वृक्ष के नीचे उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उन्हें समाधि दी गई। रिश्तेदारों और गांववासियों ने फूलों की माला चढ़ाकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
बेटी अंजली की शादी तय हो चुकी थी, कई रस्में भी पूरी हो चुकी थीं, लेकिन इस हादसे के बाद विवाह की तारीख को आगे बढ़ा दिया गया। पूरे गांव में शोक की लहर है। जो लोग शादी में शामिल होने आए थे, वे अब मातम में शामिल हो रहे हैं।
यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि हर उस पिता की कहानी है जो अपनी बेटी की डोली को कंधा देने का सपना देखता है, लेकिन खुद ही उस डोली से पहले दुनिया छोड़ जाता है।
आज पंचदेवरा गांव का हर निवासी इस सवाल में डूबा है कि नियति इतनी क्रूर क्यों होती है? बेटी की मुस्कान को मातम में बदल देने वाला यह दृश्य हर किसी की आंखों को नम कर गया।