देवरिया जनपद के न्यू कॉलोनी स्थित गुलाम हॉस्पिटल में इलाज के दौरान एक युवक की हालत बिगड़ने के बाद गोरखपुर में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद परिजनों और स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश फैल गया। गुस्साए परिजनों ने गुलाम हॉस्पिटल के बाहर शव रखकर प्रदर्शन किया और डॉक्टर पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए।
क्या है पूरा मामला?
मृतक कृष्णा कुमार, भट्टवालिया चौराहे के पास 133 केवी हाइडिल के पास का निवासी था। हाल ही में एक सड़क दुर्घटना में उसके पैर में चोट लग गई थी। परिजन उसे इलाज के लिए न्यू कॉलोनी स्थित गुलाम हॉस्पिटल लेकर पहुंचे थे। परिजनों के अनुसार, कृष्णा पूरी तरह होश में था और केवल पैर में चोट थी। डॉक्टर ने जांच के बाद ऑपरेशन की सलाह दी।
डॉक्टर के निर्देश पर परिजनों ने जरूरी दवाइयां खरीदीं और मरीज को ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया। ऑपरेशन के दौरान मरीज को एक इंजेक्शन लगाया गया, जिसके तुरंत बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई। मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने लगी और वह बेहोश हो गया।
गोरखपुर में इलाज के दौरान हुई मौत
मरीज की हालत बिगड़ने पर गुलाम हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने आनन-फानन में उसे बगल के आस्था हॉस्पिटल में रेफर कर दिया। वहां प्राथमिक इलाज के बाद मरीज को गोरखपुर रेफर किया गया। गोरखपुर में इलाज के दौरान शनिवार की सुबह कृष्णा कुमार की मौत हो गई।
परिजनों का आरोप और गुस्सा
मृतक के परिजनों का आरोप है कि अगर गुलाम हॉस्पिटल में सही तरीके से इलाज किया जाता और समय पर जरूरी मेडिकल सहायता मिलती तो मरीज की जान बचाई जा सकती थी। परिजनों का कहना है कि मरीज की हालत इंजेक्शन देने के तुरंत बाद बिगड़ गई, जिससे संदेह है कि कहीं गलत इंजेक्शन या दवा तो नहीं दी गई।
मौत की खबर सुनते ही परिजनों ने गुलाम हॉस्पिटल के बाहर शव रखकर सड़क जाम कर दिया बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी शामिल हो गए और लापरवाह डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
प्रशासन की भूमिका
घटना की सूचना मिलते ही सदर कोतवाल पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस अधिकारियों ने परिजनों और प्रदर्शनकारियों को समझाने-बुझाने का प्रयास किया। काफी देर की मशक्कत के बाद परिजन माने और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ही मौत के सही कारणों का पता चलेगा और आगे की कार्रवाई की जाएगी।
डॉक्टर की सफाई
गुलाम हॉस्पिटल के डॉक्टर ने लापरवाही के आरोपों से इनकार किया है। डॉक्टर का कहना है कि मरीज को भर्ती करने से पहले सभी जरूरी जांचें की गई थीं और ऑपरेशन के दौरान अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई। डॉक्टर के अनुसार, उन्होंने मरीज को बचाने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन स्थिति गंभीर होने के कारण गोरखपुर रेफर करना पड़ा।
स्वास्थ्य विभाग पर उठे सवाल
इस घटना ने देवरिया के स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों का आरोप है कि जिले में कई अस्पतालों में इलाज के नाम पर लापरवाही की जाती है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इन मामलों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं करते।
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
फिलहाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। वहीं, अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या लापरवाही के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होती है या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
यह घटना देवरिया में स्वास्थ्य सुविधाओं और मेडिकल प्रबंधन की खामियों को उजागर करती है, जिससे स्थानीय लोगों में भारी असंतोष है।