उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद में जहां एक ओर बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बनी हुई है, वहीं दूसरी ओर कुछ संस्थान ऐसे भी हैं जो युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सराहनीय कार्य कर रहे हैं। देवरिया के शाही कटरा क्षेत्र में स्थित “जेके मोबाइल ट्रेनिंग सेंटर” ऐसी ही एक संस्था है, जो युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण देकर उनके लिए रोजगार के नए रास्ते खोल रही है।

जेके मोबाइल ट्रेनिंग सेंटर के संचालक जनार्दन कुशवाहा ने जानकारी देते हुए बताया कि उनकी संस्था पिछले 20 वर्षों से मोबाइल रिपेयरिंग की ट्रेनिंग दे रही है। यह ट्रेनिंग सेंटर खासतौर पर उन युवाओं के लिए है जो पढ़ाई में अधिक आगे नहीं बढ़ पाए हैं। यहां आठवीं पास या दसवीं फेल लड़के-लड़कियां भी बिना किसी डिग्री के इस तकनीकी कोर्स को करके अपने भविष्य को एक नई दिशा दे सकते हैं।
इस सेंटर की सबसे खास बात यह है कि यहां से ट्रेनिंग लेने के बाद युवक-युवतियां अपने गांव या शहर में खुद की मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान खोलकर प्रतिमाह 30 से 40 हजार रुपये तक की कमाई कर रहे हैं। जनार्दन कुशवाहा ने बताया कि आज के दौर में हर किसी के पास स्मार्टफोन है, लेकिन जब वह खराब हो जाता है तो उसे ठीक करने के लिए कुशल तकनीशियन की आवश्यकता होती है। ऐसे में उनकी संस्था से निकले छात्र इस कमी को पूरा कर रहे हैं।
केवल देवरिया ही नहीं, बल्कि कुशीनगर, गोरखपुर, महाराजगंज, बिहार और यहां तक कि मुंबई से भी छात्र-छात्राएं इस ट्रेनिंग सेंटर में आकर मोबाइल रिपेयरिंग की बारीकियों को सीखते हैं। हाल ही में सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान 24 से 25 छात्रों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए। इस मौके पर छात्रों के चेहरे पर आत्मविश्वास और उत्साह साफ नजर आया।
कुछ छात्रों ने बातचीत में बताया कि उन्होंने ट्रेनिंग पूरी करने के बाद खुद की दुकान खोली है और आज वे अपने पैरों पर खड़े हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यहां की ट्रेनिंग बहुत ही व्यावहारिक और बाजार की जरूरत के अनुसार दी जाती है, जिससे सीखने वाले को किसी तरह की कठिनाई नहीं होती।
जेके मोबाइल ट्रेनिंग सेंटर देवरिया के युवाओं के लिए उम्मीद की किरण बन चुका है। बिना बड़ी डिग्री या तकनीकी पृष्ठभूमि के भी अगर कोई मेहनत और लगन से कुछ सीखना चाहता है तो यह सेंटर उसके लिए एक बेहतरीन विकल्प है। यह उदाहरण साबित करता है कि अगर सही मार्गदर्शन और तकनीकी शिक्षा मिले, तो कोई भी युवा आत्मनिर्भर बन सकता है, चाहे उसकी शैक्षणिक योग्यता कुछ भी क्यों न हो।
देवरिया में इस प्रकार के प्रशिक्षण केंद्रों की संख्या बढ़ेगी तो निश्चित ही यहां के युवाओं को दूसरे शहरों में पलायन नहीं करना पड़ेगा और वे अपने ही जिले में रोजगार पाकर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकेंगे।