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Deoria News: निराश्रित गोवंश संरक्षण हेतु बैठक: चारागाह की भूमि, गो आश्रय स्थलों और घायल पशुओं की देखभाल पर विशेष ध्यान

देवरिया, 29 अगस्त: जिलाधिकारी दिव्या मित्तल की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में निराश्रित गोवंश संरक्षण हेतु अनुश्रवण एवं मूल्यांकन समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य जनपद में निराश्रित गोवंश की सुरक्षा, संरक्षण, और उनकी देखभाल के लिए चल रही योजनाओं की समीक्षा और उनके बेहतर क्रियान्वयन के लिए दिशा-निर्देश देना था।

बैठक में जिलाधिकारी द्वारा चयनित चारागाह की भूमि पर नेपियर घास और हरे चारे के रोपण और संरक्षण के उपायों पर चर्चा की गई। इसके साथ ही, एसएफसी पूलिंग द्वारा संचित धनराशि और उसके व्यय पर भी विचार-विमर्श हुआ। गो आश्रय स्थलों की आवश्यक जरूरतों की पहचान करते हुए, नवीन वृहद गो संरक्षण हेतु भूमि के प्रस्ताव, सान्द्र आहार और साइलेज की व्यवस्था, शेड की स्थिति और अतिरिक्त शेड की आवश्यकता जैसी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई।

वर्षा ऋतु से गोवंश को बचाने के उपाय, गो आश्रय स्थलों में जल जमाव और खडंजा निर्माण, तथा आवश्यक अभिलेखों की उपलब्धता और रख-रखाव की स्थिति की भी समीक्षा की गई। जिलाधिकारी ने गो आश्रय स्थलों पर सिक रूम के निर्माण, अतिरिक्त भूसा और साइलेज भण्डार की स्थिति, और छोटे और बड़े पशुओं के लिए पृथक वैरीकेटिंग की व्यवस्था पर भी ध्यान दिया। गोबर के निस्तारण और बिक्री की स्थिति, शव निस्तारण के प्रबंधन, और भूमि की उपलब्धता पर भी विचार किया गया।

बैठक में एसएफसी पूलिंग के तहत गो आश्रय स्थलों के संचालन के लिए आवश्यक निर्देश दिए गए। अस्थाई गो आश्रय स्थलों, जैसे भैंसाडाबर और घाटी-भटनी में विद्युत कनेक्शन हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया, साथ ही गो आश्रय स्थल घाटी में रात्री निवास हेतु एक केयरटेकर नियुक्त करने का भी आदेश दिया गया।

जिलाधिकारी ने सड़कों और खेतों में घूम रहे निराश्रित गोवंश को पकड़कर निकटतम गो आश्रय स्थलों में संरक्षित करने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने चारागाह की जमीन को गो आश्रय पोर्टल पर अंकित करने के भी निर्देश दिए। जनपद में संचालित मोबाइल वेटनरी यूनिट 1962 के प्रचार-प्रसार हेतु ग्रामीण स्तर पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों और ग्राम पंचायत सचिवालय पर बैनर और पेंटिंग के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने का निर्णय लिया गया।

एसपीसीए की बैठक में घायल पशुओं के संरक्षण और उनके उपचार पर जोर

इसी क्रम में, जिलाधिकारी दिव्या मित्तल की अध्यक्षता में जनपद में एसपीसीए (सोसाइटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स) की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में घायल बंदर, कुत्ता, बिल्ली आदि के लिए आश्रय स्थल का निर्माण करने हेतु स्वयंसेवी संस्थाओं से आगे आने का अनुरोध किया गया। जिलाधिकारी ने कुत्तों के बधियाकरण के लिए अधिशासी अधिकारियों को निर्देश दिए और खुले ट्रांसफार्मरों पर जाली लगाने की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों को सौंप दी।

जिलाधिकारी ने आपातकालीन स्थिति में घायल पशुओं के संरक्षण और उनके इलाज हेतु टोलफ्री नंबर 1962 और जिलाधिकारी हेल्पलाइन नंबर 05568-225351/222261/223331 पर सूचित करने की अपील की। बंदरों के संरक्षण और इलाज के लिए जिला वनाधिकारी के मोबाइल नंबर 8056595393 पर संपर्क करने का निर्देश दिया गया।

बैठक में यह भी तय किया गया कि बंदरों को पकड़ने के लिए नगर पालिका, नगर पंचायत, और खंड विकास अधिकारी मंकी कैचर और मंकी हैंडलर की व्यवस्था करेंगे। लाल बंदरों के आतंक और उनकी बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने के लिए उन्हें जंगल में छोड़ने की व्यवस्था नगर पालिका और जिला वनाधिकारी द्वारा की जाएगी।

इस बैठक में मुख्य विकास अधिकारी प्रत्यूष पांडेय, अपर पुलिस अधीक्षक, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत, जिला सूचना अधिकारी, समस्त खंड विकास अधिकारी, नगर पालिका और नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी, और एसपीसीए के सदस्य शामिल थे।

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