हिंदुओं का पावन पर्व सावन का महीना चल रहा है भक्त शिवाले में पहुंचकर पूजा अर्चना कर रहे हैं गंगाजल लेकर भक्त शिव मंदिर में पहुंचकर जल अभिषेक कर रहे हैं, लेकिन आज हम आपको बताने वाले हैं देवरिया जनपद के प्राचीन शिव मंदिर के बारे में जो 332 ईसापूर्व मंदिर का निर्माण हुआ था मंदिर की इतिहास के बारे में पुराणों में भी जिक्र बताया जाता है मंदिर के मुख्य पुजारी ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण अयोध्या के राजा बद्री सेन के द्वारा इस मंदिर का निर्माण कराया गया शिवलिंग त्रेता युग से विराजमान है और इस शिवलिंग को उपज्योति लिक की उपाधि दी जाती है और शिवलिंग को किसी ने स्थापित नहीं किया है यह स्वयं धरती से निकला है,
यही वजह है कि देवरिया जनपद के रुद्रपुर में स्थित नाथ बाबा मंदिर को छोटी काशी के नाम से जाना जाता है सावन के महीने में यहां यूपी बिहार सहित अन्य कई राज्यों से लोग पहुच कर पूजा अर्चना करते हैं यहां तक की प्रदेश के अन्य जनपदों से भी श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने इस मंदिर में पहुंचते हैं,
बताया जाता है कि कुछ लोग अपनी श्रद्धा को लेकर आते हैं जिनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है वह इस मंदिर में आकर रुद्राभिषेक जल अभिषेक करते हैं वहीं इस मंदिर के दोनों तरफ मनमोहक पोखरा बना हुआ है जो देखने में बेहद खूबसूरत लगता है बताया जाता है कि मंदिर का इतिहास इन पोखरों से भी जुड़ा हुआ है वही देवरिया जनपद का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य बड़े नेता भी आ चुके हैं मंदिर के महंत के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रुद्रपुर में दो बार आए और दो बार लोकसभा चुनाव में विजय प्राप्त किया उन्होंने कहा कि जो रुद्रपुर की धरती पर आजाता है उनपर भगवान भोलेनाथ की कृपा होजाती है क्योंकि रुद्रपुर ही एक भगवान का नाम है,
वही बात की जाए देवरिया जनपद की रुद्रपुर शिव मंदिर की तो यहां जाने के लिए सड़क मार्ग प्रशस्त की व्यवस्था है वहीं जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित है गोरखपुर से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस मंदिर में जाने के लिए बस सेवा भी उपलब्ध है यही वजह है कि यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आसानी से आ जाते हैं वहीं 2023 के सावन के प्रथम सोमवार इस मंदिर में हजारों के संख्या में श्रद्धालु सुबह से कतार में खड़े हो गए और अपनी बारी आने का इंतजार करने लगे इस मंदिर के इतिहास पर गौर करें तो काफी पुराना है और यहां आज भी मंदिर इस हालत में है जिस हालत में मंदिर को बनाया गया था यहां मंदिर का शिवलिंग जमीन की सतह से काफी नीचे है,