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Deoria News: हनुमान मंदिर में नाबालिग से हो रही थी शादी, 1098 पर सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची टीम, युवक हिरासत में

रुद्रपुर (देवरिया), 19 जून। देवरिया जनपद के रुद्रपुर क्षेत्र में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक 38 वर्षीय युवक एक नाबालिग लड़की से शादी करने की तैयारी कर रहा था। यह विवाह ग्राम बनिएनी स्थित हनुमान मंदिर में सम्पन्न होने वाला था। हल्दी की रस्म भी पूरी कर ली गई थी और परिवारों की सहमति से विवाह की प्रक्रिया अंतिम चरण में थी। इसी बीच किसी जागरूक ग्रामीण ने 1098 चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर पर इसकी सूचना देकर एक नाबालिग बच्ची को बाल विवाह के चंगुल से बचा लिया।

मामले की सूचना मिलते ही महिला कल्याण विभाग की टीम तत्परता दिखाते हुए मौके पर पहुंची। महिला कल्याण समिति की प्रभारी कोऑर्डिनेटर अनुराधा राज अपने सहयोगियों मीनू जायसवाल और अमित के साथ तुरंत ग्राम बनिएनी पहुंचीं। वहां पहले से मौजूद रुद्रपुर कोतवाली के कांस्टेबल चंद्रकांत मौर्य की मदद से टीम ने विवाह रुकवाया और युवक के साथ-साथ नाबालिग लड़की को हिरासत में लेकर कोतवाली लाया गया।

पूछताछ में युवक की पहचान महेंद्र प्रसाद पुत्र राम प्रताप प्रसाद, निवासी खुजरी थाना बड़हलगंज, गोरखपुर के रूप में हुई है। महेंद्र प्रसाद का ननिहाल लड़की के गांव में ही है और इसी वजह से उसका आना-जाना लगा रहता था। इसी दौरान उसका लड़की से संबंध बन गया और दोनों परिवारों की आपसी सहमति से शादी तय कर दी गई। लेकिन लड़की की उम्र 18 वर्ष से कम होने के कारण यह विवाह भारतीय कानून के अनुसार अवैध माना गया।

महिला कल्याण विभाग की प्रभारी अनुराधा राज ने बताया कि यह मामला बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बाल विवाह से न केवल एक लड़की का भविष्य अंधकारमय होता है, बल्कि यह उसकी मानसिक, शारीरिक और सामाजिक सुरक्षा के लिए भी खतरा होता है।

लड़की को फिलहाल सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद वन स्टॉप सेंटर भेज दिया गया है, जहां उसकी काउंसलिंग और देखभाल की जा रही है। वहीं आरोपी युवक को पुलिस हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है और आगे की कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बाल विवाह जैसी कुप्रथा आज भी समाज के कुछ हिस्सों में जड़ें जमाए हुए है, लेकिन जागरूकता और त्वरित प्रशासनिक कार्रवाई से इसे रोका जा सकता है। एक ओर जहां एक बच्ची को असमय विवाह से बचाया गया, वहीं यह घटना समाज को एक बार फिर बाल अधिकारों की रक्षा के प्रति सजग रहने का संदेश भी देती है।

फिलहाल यह मामला जांच के अधीन है और आरोपी युवक पर बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 व भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं के तहत कार्रवाई की जा रही है। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि किसी भी स्थिति में कानून को हाथ में लेने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

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