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Deoria News: देवरिया बस स्टेशन की बदहाली: न छांव, न पंखा, न पानी, यात्रियों को झेलनी पड़ रही भीषण परेशानी

उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद का मुख्य बस स्टेशन इन दिनों बदहाली और उपेक्षा का प्रतीक बन चुका है। चिलचिलाती धूप हो या मूसलाधार बारिश, यहां यात्रा करने वाले लोगों को बुनियादी सुविधाओं के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ती है। बस स्टेशन पर न तो यात्रियों के बैठने की समुचित व्यवस्था है और न ही गर्मी से राहत पाने के लिए कोई पंखा या छांव की ठोस व्यवस्था उपलब्ध है।

वर्तमान में बस स्टेशन परिसर में एक मात्र लोहे की छत (शेड) लगी हुई है, जिसमें कुछ लोग बैठ जरूर जाते हैं, लेकिन भीषण गर्मी में यह शेड तपते तंदूर जैसा हो जाता है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस शेड में एक भी पंखा नहीं लगाया गया है, जिससे गर्मी से राहत मिल सके। नतीजतन यात्रियों, खासकर महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

यह स्थिति कोई नई नहीं है। देवरिया बस स्टेशन की बदहाली वर्षों से बनी हुई है। हर चुनावी सीजन में स्थानीय जनप्रतिनिधि और परिवहन विभाग के मंत्री यह दावा करते नजर आते हैं कि देवरिया का बस स्टेशन जल्द ही अत्याधुनिक और हाईटेक बनाया जाएगा। लेकिन धरातल पर आज भी हालात जस के तस बने हुए हैं।

बस अड्डे की सफाई व्यवस्था भी बेहद खराब है। चारों ओर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। यात्रियों के लिए न तो स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था है और न ही साफ-सुथरे शौचालय। नालियां ओवरफ्लो हैं और कूड़ेदान के अभाव में लोग इधर-उधर कचरा फेंकने को मजबूर हैं।

मीडिया से बातचीत के दौरान देवरिया बस डिपो के क्षेत्रीय प्रभारी ने बताया कि नए शेड के निर्माण के लिए लखनऊ से टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। हालांकि यह जानकारी अब तक नहीं दी गई है कि यह टेंडर किस कंपनी को मिला है। अधिकारियों का कहना है कि संबंधित कंपनी से संपर्क कर जल्द से जल्द शेड का निर्माण शुरू कराने की कोशिश की जा रही है।

लेकिन सवाल यह उठता है कि जब तक नई व्यवस्था नहीं बनती, तब तक यात्रियों को गर्मी और अव्यवस्था में ही रहना होगा? आम लोगों का कहना है कि सरकार और प्रशासन सिर्फ कागजों पर योजनाएं बना रहा है, जमीन पर कुछ नहीं दिखता। यात्रियों की मांग है कि कम से कम अस्थायी पंखे और शुद्ध पेयजल की व्यवस्था तो जल्द से जल्द की जाए।

स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि देवरिया जिले के बस स्टेशन को लेकर जो वादे किए जाते हैं, वे सिर्फ चुनावी जुमले बनकर रह गए हैं। एक जिला मुख्यालय का बस स्टेशन अगर इतनी बदहाल स्थिति में रहेगा, तो छोटे कस्बों और गांवों के हालात की कल्पना ही की जा सकती है।

यात्रियों की उम्मीदें अब भी बनी हुई हैं कि प्रशासन इस ओर गंभीरता से ध्यान देगा और जल्द ही देवरिया बस स्टेशन को सुविधाजनक और आधुनिक बनाएगा। वरना यात्रियों की परेशानी और प्रशासनिक लापरवाही का यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा।

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