Deoria News: पहली बार चुनाव लड़े, जीते और माता-पिता से आशीर्वाद लिया: शशांक मणि त्रिपाठी की सफलता की कहानी

देवरिया लोकसभा सीट से नवनिर्वाचित सांसद शशांक मणि त्रिपाठी ने पहली बार राजनीति में कदम रखा और अपने पहले ही प्रयास में शानदार जीत हासिल की। इस जीत ने न केवल उन्हें राजनीतिक पटल पर स्थापित किया बल्कि उनके परिवार और समर्थकों के लिए भी गर्व का क्षण बना। चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद, शशांक मणि त्रिपाठी ने गोरखपुर स्थित अपने आवास का रुख किया, जहां उनके माता-पिता शशि त्रिपाठी और लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी रहते हैं।

गोरखपुर आगमन

शशांक मणि त्रिपाठी अपने वाहनों के काफिले के साथ गोरखपुर के सिविल लाइंस स्थित आवास परिसर पहुंचे। उस समय उनके माता-पिता सोए हुए थे। घर में प्रवेश करते ही शशांक ने अपनी मां को आवाज दी। मां शशि त्रिपाठी ने जैसे ही शशांक की आवाज सुनी, उनकी नींद खुल गई और चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। मां-बेटे का मिलन बेहद भावुक था। शशांक ने अपनी मां को गले लगाकर अपनी जीत की खुशखबरी दी।

माता-पिता का आशीर्वाद

अपने माता-पिता का आशीर्वाद लेने के बाद, शशांक ने अपने सांसद निर्वाचित होने का प्रमाण पत्र भी उन्हें सौंपा। यह क्षण उनके पिता के लिए बेहद खास था। लेफ्टिनेंट जनरल श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी की आंखें खुशी से भर आईं। वे हमेशा से चाहते थे कि उनके बेटे शशांक राजनीति में आकर जनता की सेवा करें। शशांक की सफलता ने उनके इस सपने को पूरा कर दिया।

परिवार का संगम

इस मिलन के दौरान शशांक की पत्नी गौरी और उनकी बेटियां तारिणी और ईशा भी मौजूद थीं। मां ने बेटे को तिलक लगाकर आशीर्वाद दिया और मिठाई खिलाकर एक-दूसरे का मुंह मीठा किया। इस खुशी के मौके पर परिवार का हर सदस्य बेहद खुश और भावुक था। शशांक की सफलता और माता-पिता के साथ का यह मिलन सभी के लिए एक यादगार पल बन गया।

देवरिया वापसी

आधी रात के बाद लगभग दो बजे, शशांक अपनी पत्नी गौरी के साथ देवरिया लौटे। उनके पैतृक आवास बैतालपुर के निकट बार-बार गांव में सुबह होते ही कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटने लगी। कार्यकर्ताओं के उत्साह और समर्थन को देखकर शशांक खुद को रोक नहीं सके और बाहर आकर उनसे मिले। उन्होंने करीब दो घंटे कार्यकर्ताओं के बीच बिताए और उनकी शुभकामनाएं स्वीकार कीं।

केंद्रीय कार्यालय में आगमन

शशांक मणि त्रिपाठी देवरिया शहर के पुरवा स्थित भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय कार्यालय पहुंचे। वहां भी कार्यकर्ताओं की बड़ी संख्या ने उनका स्वागत किया। शशांक ने अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं के साथ समय बिताया और उन्हें अपने समर्थन और मेहनत के लिए धन्यवाद दिया।

पीतांबरा पीठ की यात्रा

शशांक मणि त्रिपाठी की आस्था मध्य प्रदेश के दतिया स्थित पीतांबरा पीठ में है। चुनाव में अभूतपूर्व सफलता मिलने के बाद वे बुधवार की दोपहर दतिया के लिए रवाना हो गए। गोरखपुर से हवाई जहाज द्वारा नई दिल्ली पहुंचे और फिर वहां से दतिया गए। यह यात्रा शशांक के लिए विशेष महत्व रखती थी क्योंकि जिस दिन उन्हें भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया गया था, उसी दिन वे माता पीतांबरा के दर्शन के लिए दतिया गए थे।

माता पीतांबरा की शक्ति

शशांक मणि त्रिपाठी का मानना है कि माता पीतांबरा की शक्ति असीम है और उनकी मन्नतें अवश्य पूरी होती हैं। वे बताते हैं कि जैसे ही उन्होंने माता पीतांबरा का दर्शन किया, उन्हें सूचना मिली कि उन्हें देवरिया से भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी बनाया गया है। यह उनके लिए एक दिव्य संकेत था और उनकी आस्था और भी गहरी हो गई।

राजनीतिक सफर की शुरुआत

शशांक मणि त्रिपाठी की यह पहली राजनीतिक जीत उनकी मेहनत, आस्था और परिवार के आशीर्वाद का परिणाम है। उनके पिता की दिली इच्छा थी कि शशांक सांसद बनकर जनता की सेवा करें, और अब यह सपना सच हो गया है। शशांक की सफलता न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि उनके समर्थकों और पार्टी के लिए भी गर्व का विषय है।

आगे की योजना

शशांक मणि त्रिपाठी का कहना है कि वे अपने क्षेत्र के विकास और जनता की सेवा के लिए पूरी तरह से समर्पित रहेंगे। उन्होंने अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनकी जीत सभी की सामूहिक मेहनत और समर्थन का नतीजा है। वे अपने क्षेत्र के विकास के लिए ठोस कदम उठाने का वादा करते हैं और सभी को साथ लेकर चलने की बात करते हैं।

समर्पण और सेवा का वादा

शशांक मणि त्रिपाठी का राजनीतिक सफर अब शुरू हुआ है और वे जनता के विश्वास और समर्थन के साथ आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उनका समर्पण, आस्था और सेवा का भाव ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है। वे अपने माता-पिता के आशीर्वाद और जनता के समर्थन से अपने क्षेत्र और देश की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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