यह घटना उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के सलेमपुर क्षेत्र की है, जहां सोहनाग रोड पर स्थित एक ग्राहक सेवा केंद्र (सीएसपी) के संचालक से लाखों रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। आरोप है कि सेंट्रल बैंक की सलेमपुर शाखा के पुर्व प्रबंधक ने ग्राहक सेवा केंद्र संचालक को विश्वास में लेकर ग्राहकों का पैसा जमा करने के नाम पर हड़प लिया और इसे अपने संबंधियों के खातों में डाल दिया।
मामले का विवरण:
लार थाना क्षेत्र के ग्राम बरई टोला रावतपार पांडेय की निवासी रमावती देवी ने बताया कि उनके पति ने 2012 से 2020 तक सलेमपुर शाखा के तहत ग्राहक सेवा केंद्र चलाया। इस दौरान उनके पति ग्राहकों के लिए जमा, निकासी और अन्य बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराते थे। शाखा प्रबंधक ने संचालक को विश्वास में लिया और उनसे ग्राहकों का रुपया जमा करने के लिए लिया, लेकिन इसे बैंक में जमा करने की बजाय अपने करीबी रिश्तेदारों के खातों में स्थानांतरित कर दिया।
जब संचालक ने वार्तमा प्रबंधक से ग्राहकों के पैसे वापस करने की बात कही, तो प्रबंधक ने धमकी दी कि वह ग्राहक सेवा केंद्र को बंद करवा देगा। संचालक की पत्नी का कहना है कि इस कारण उनके पति पर भारी दबाव बना रहा और उन्होंने बैंक अधिकारियों से कई बार शिकायत की।
शिकायत और कार्रवाई:
रमावती देवी ने बताया कि 2023 में उन्होंने जिलाधिकारी (डीएम) से शिकायत की, जिसके बाद मामले की जांच शुरू हुई। जांच के दौरान अग्रणी जिला प्रबंधक ने आश्वासन दिया कि रकम वापस दिलाई जाएगी, लेकिन इस बीच संबंधित शाखा प्रबंधक का स्थानांतरण बिहार करवा दिया गया, जिससे मामला और जटिल हो गया।
अब संचालक के परिवार को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। संचालक के घर पर ग्राहक लगातार अपना पैसा मांगने आ रहे हैं। संचालक के परिवार ने अब तक अपने आभूषण और अन्य कीमती सामान बेचकर नौ लाख रुपये ग्राहकों को वापस किए हैं, लेकिन अभी भी लाखों रुपये बाकी हैं।
पुलिस की प्रतिक्रिया:
रमावती देवी ने मंगलवार को सदर कोतवाली में इस मामले को लेकर शिकायत दर्ज कराई। कोतवाल दिलीप सिंह ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है और जल्द ही आरोपियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला बैंकों और वित्तीय संस्थानों के भीतर भ्रष्टाचार और विश्वासघात की गंभीर समस्या को दर्शाता है। ग्राहक सेवा केंद्र संचालक और उनके परिवार को इस धोखाधड़ी के कारण आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। पुलिस की जांच और उचित कार्रवाई के बाद ही पीड़ितों को न्याय मिलने की संभावना है।