लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा संपन्न हो गया है। श्रद्धा और समर्पण का यह अनोखा पर्व पूर्वांचल, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में बड़ी धूमधाम से मनाया गया। चार दिवसीय इस महापर्व का समापन आज उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हुआ। घाटों पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु एकत्रित हुए और उन्होंने छठी मैया और सूर्य देव से अपने परिवार की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की।
घाटों पर आस्था का दृश्य
छठ पूजा के अंतिम दिन का दृश्य अद्भुत और अलौकिक था। सभी घाटों को विशेष रूप से सजाया गया था, जहां श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। व्रती महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में सज-धज कर स्नान किया और सूर्योदय से पहले ही घाटों पर एकत्रित होकर अर्घ्य की तैयारियां शुरू कर दीं। पुरुष, महिलाएं और बच्चे सभी एक समान श्रद्धा भाव के साथ अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना कर रहे थे। विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए थे ताकि इस पर्व का आयोजन सुचारू रूप से हो सके।
चार दिवसीय छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा चार दिनों का पर्व है, जिसमें पहले दिन ‘नहाय खाय’ के साथ शुरुआत होती है। दूसरे दिन ‘खरना’ का आयोजन किया जाता है, जिसमें व्रती दिनभर का उपवास रखते हैं और रात में पूजा कर प्रसाद ग्रहण करते हैं। तीसरे दिन संध्या अर्घ्य दिया जाता है, जिसमें महिलाएं पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं। चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद इस पर्व का समापन होता है। यह चार दिन कठिन तपस्या, आत्मसंयम और संयमित जीवन का प्रतीक माने जाते हैं।
छठ पूजा के धार्मिक और वैज्ञानिक लाभ
छठ पूजा में सूर्य की उपासना का विशेष महत्व है। सूर्य देव को ऊर्जा, स्वास्थ्य और जीवनदायिनी शक्ति का स्रोत माना जाता है। छठ पूजा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि सूर्य की किरणों का सेवन करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है। सूर्य की किरणों से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
बच्चों और बुजुर्गों में भी उत्साह
छठ पर्व केवल महिलाओं तक सीमित नहीं है; इसमें हर आयु वर्ग के लोग शामिल होते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी इस पर्व का आनंद लेते हैं और अपनी आस्था व्यक्त करते हैं। छोटे बच्चों ने भी पारंपरिक वेशभूषा में पूजा में भाग लिया और प्रसाद वितरण में योगदान दिया। बुजुर्गों ने आशीर्वाद के साथ इस पर्व में सहभागिता की और इसे अपने पूर्वजों की विरासत के रूप में मनाने का आनंद लिया।
प्रशासनिक व्यवस्थाओं की तारीफ
छठ पर्व के दौरान सुरक्षा और सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया। प्रशासन द्वारा सभी घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। नावों और गोताखोरों की तैनाती की गई ताकि किसी भी अनहोनी से बचा जा सके। सफाई, चिकित्सा और बिजली के प्रबंध भी विशेष रूप से किए गए थे। श्रद्धालुओं ने प्रशासन की इन व्यवस्थाओं की सराहना की और सुरक्षित रूप से पर्व को मनाने के लिए आभार व्यक्त किया।
सोशल मीडिया पर छठ पूजा की धूम
इस बार छठ पूजा की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुए। श्रद्धालुओं ने घाटों पर पूजा करते हुए तस्वीरें साझा कीं और छठ पर्व की महत्ता को वैश्विक मंच पर दिखाया। विदेशों में बसे प्रवासी भारतीयों ने भी अपने-अपने स्थानों पर छठ पूजा का आयोजन किया और अपनी संस्कृति से जुड़ाव को प्रदर्शित किया।
पर्व का समापन और नई उमंग
उगते सूर्य को अंतिम अर्घ्य देने के साथ ही छठ पर्व का समापन हो गया। व्रती महिलाओं ने पूरे समर्पण और श्रद्धा के साथ कठिन उपवास और पूजा-अर्चना की। सभी ने मिलकर छठी मैया और सूर्य देव से अपने परिवार की खुशहाली की कामना की। पर्व के इस समापन ने सभी में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार किया। श्रद्धालुओं ने व्रत के समाप्ति के बाद प्रसाद ग्रहण कर एक-दूसरे को पर्व की बधाई दी और अगले वर्ष के लिए फिर से आस्था के इस पर्व को मनाने की प्रतिज्ञा की।