NEET UG 2023:हर दिन 1000 ईंट बनाने के बाद पढाई कर यमुना चक्रधारी ने नीट कि परीक्षा किया पास मां कभी किताबें नहीं देखी पिता अंग्रेजी का एक अक्षर नहीं पढ़ा झकझोर देने वाली संघर्ष की कहानी

आपको बता दें कि बड़े-बड़े शहरों में बड़े-बड़े इंस्टिट्यूट में बच्चों का भरमार लगा रहता है और उनके गार्जियन उनके ऊपर लाखों खर्च कर उन्हें पढ़ाते हैं कि मेरा बच्चा आगे कुछ अपने भविष्य में अच्छा कर सके लेकिन वही गांव में अच्छी सुविधा नहीं मिल पाने के बावजूद भी बच्चे अपनी मेहनत के बल पर अच्छा मुकाम हासिल करते हैं ऐसे ही छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में कुम्हार की एक बेटी ने रोजाना 6 घंटे ईट बनाकर घर में खुद से पढ़ाई कर NEET के एग्जाम पास किया है नीट में 720 में से 516 नंबर लाकर यमुना चक्रधारी ने ऑल इंडिया रैंकिंग में 93683 और ओबीसी रैंक मे 42684 पाया है

उसे अब गवर्मेंट कॉलेज मिल जाएगा। यमुना का कहना है कि डॉक्टर बनने के बाद वह गांव में ही प्रैक्टिस करेगी और गरीबों का इलाज करेगी।

जिस घर में मां ने कभी किताब नहीं देखी, पिता ने अंग्रेजी का एक अक्षर नहीं पढ़ा उस घर में पैदा हुई होनहार युक्ति और यमुना पूरे जिले में अपने माता-पिता का नाम रोशन कर रही हैं। बड़ी बहन युक्ति चक्रधारी ने हेमचंद यादव विश्वविद्यालय में एमए हिस्ट्री से टॉप किया। वहीं उससे छोटी बहन यमुना ने इस बार नीट की परीक्षा पास कर ली है।

यमुना चक्रधारी ने बताया कि उसका बचपन से सपना था कि वो डॉक्टर बने। इंग्लिश और बायो उसके फेवरेट सब्जेक्ट थे। 6 घंटे ईंट बनाने के बाद जो भी समय दिन में मिलता वो पढ़ाई करती। रात में 4-5 घंटे रोजाना पढ़ती थी। उसी मेहनत का नजीता है कि उसने ये एग्जाम पास किया। उसका कहना है कि उसे गवर्मेंट कॉलेज मिल जाएगा। अगर उसकी रैंकिंग खराब होती तो शायद ही वो कभी डॉक्टर बन पाती।

इस सोशल मीडिया के जवानों में मोबाइल तक नहीं यूज करते थे

बिना कोचिंग कई बच्चे नीट का एग्जाम पास करते होंगे, लेकिन उनकी सफलता के पीछे उनके घर का माहौल, माता पिता की शिक्षा या फिर यू-टयूब से पढ़ाई शामिल होती है। यमुना के साथ ऐसा कुछ भी नहीं है। घर में माता-पिता पढ़े लिखे नहीं है। यू-ट्यूब से पढ़ना दूर यमुना ने आज तक मोबाइल तक यूज नहीं किया है।यमुना की सफलता के बारे में पूछते ही उनके पिता बैजनाथ चक्रधारी और मां कुसुम की आंखों में आंसू आ गए। मां ने कहा कि उनकी बेटियां शादी के लायक हैं। समाज के लोगों ने उनके हाथ पीले करने का दबाव बनाया। लेकिन उनकी बेटियां पढ़ना चाहती थीं

इसलिए उन्होंने शादी से मना कर दिया। समाज के लोगों के ताने सुने, नाराजगी सही, लेकिन बेटियों के सपनों के आगे कोई अड़चन नहीं आने दी। कुसुम का कहना है कि वो निरक्षर हैं, लेकिन उनके सपने बड़े हैं। वो अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर और वकील बनाना चाहती हैं। उनके बच्चे भी उनका सपना सच कर रहे हैं। इससे बड़ी खुशी की बात और क्या होगी

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