History of Ambedkar Nagar: अम्बेडकरनगर: एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण

नदियों के किनारे नगर बसने का पुराना इतिहास:
अम्बेडकरनगर, जो कभी अयोध्या (फैजाबाद) जनपद का हिस्सा था, अब अपनी खास पहचान रखता है। यहाँ की पवित्र नदियाँ सरयू, घाघरा और तमसा प्राचीन काल से ही जन जीवन को सींचती आ रही हैं। “वि तमसा तमसा सरयू तटा” कहकर आदि कवि ने मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के विजयोत्सव का वर्णन किया है। इस क्षेत्र ने ऋषियों और मुनियों की साधनाओं का आदर प्राप्त किया है और यह पवित्र सलिला सरयू और तमसा की लहरों से समृद्ध है।

अंबेडकर नगर का इतिहास

अम्बेडकरनगर का गठन और भूगोल:
29 सितम्बर 1995 को तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा अम्बेडकरनगर जनपद की स्थापना की घोषणा की गई। यह जनपद अयोध्या (फैजाबाद) से विभाजित होकर अस्तित्व में आया, और इसका मुख्यालय अकबरपुर है। अम्बेडकरनगर समुद्र तल से 133 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और इसका क्षेत्रफल 2350 वर्ग किलोमीटर है। यहाँ पांच तहसीलें (अकबरपुर, टाण्डा, जलालपुर, आलाुर, भीटी) और दस ब्लॉक हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार यहाँ की जनसंख्या 23,97,888 थी, जो अब बढ़कर लगभग 25 लाख हो चुकी है।

इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर:
अम्बेडकरनगर का क्षेत्र ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। सोलहवीं शताब्दी में सम्राट अकबर के आगमन के साथ ही इस क्षेत्र में अकबरपुर नगर का अस्तित्व में आना माना जाता है। अकबर ने यहाँ एक मस्जिद और लकड़ी का पुल बनवाया, जिसे शाही पुल कहा जाता था। इस पुल ने अकबरपुर और शहजादपुर को जोड़ा। इस क्षेत्र में जलालपुर और शहजादपुर जैसी बस्तियों का विकास हुआ।

राजनैतिक और सामाजिक परिवर्तन:
अम्बेडकरनगर ने नवाबी काल से लेकर अंग्रेजी हुकूमत और आजादी के बाद तक विभिन्न सामाजिक और राजनैतिक बदलाव देखे हैं। नवाबी काल में मस्जिदों, इमामबाड़ों और धर्मशालाओं का निर्माण हुआ, जबकि अंग्रेजों ने स्कूल, अस्पताल, पुल और रेलवे स्टेशन बनाए। आजादी के बाद जमींदारी उन्मूलन विधेयक ने गरीबों और मजदूरों को भूमिहीन से भूतिदार बनाया।

आधुनिक विकास:
बीसवीं शताब्दी के अंत और इक्कीसवीं शताब्दी की शुरुआत में अम्बेडकरनगर का स्वर्णिम काल कहा जा सकता है। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इस क्षेत्र में विकास की अनेक योजनाएँ लागू कीं, जिससे आज अम्बेडकरनगर राष्ट्रीय क्षितिज पर दैदीप्यमान हो गया है।

अम्बेडकरनगर का इतिहास और विकास इसे एक विशेष स्थान प्रदान करता है, जो धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व का धनी है। यह क्षेत्र न केवल पुरानी धरोहरों को संजोए हुए है बल्कि आधुनिक विकास की दिशा में भी अग्रसर है।

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