देवरिया: देवरिया जिले के सदर कोतवाली क्षेत्र में स्थित एक निजी नर्सिंग होम में इलाज के दौरान एक नवजात शिशु की मौत हो गई, जिससे अस्पताल में हंगामा खड़ा हो गया। परिजनों ने डॉक्टर एच एस राय पर लापरवाही का आरोप लगाया है। घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया।
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घटना का विवरण:
उर्मिला निषाद नाम की महिला ने दस दिन पहले एक नवजात शिशु को जन्म दिया था। जन्म के बाद से ही शिशु की हालत गंभीर बनी हुई थी। परिवार ने शिशु को बेहतर इलाज के लिए एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया। डॉक्टर एच एस राय ने शिशु का इलाज शुरू किया, लेकिन परिजनों का कहना है कि उन्हें शिशु की स्थिति के बारे में बार-बार जानकारी मांगने पर भी सही सूचना नहीं दी गई।
इलाज के दौरान समस्याएं:
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन और डॉक्टर ने शिशु की स्थिति के बारे में जानकारी देने में अनावश्यक देरी की। वे कहते हैं कि उन्हें लगातार अंधेरे में रखा गया और सही समय पर चिकित्सा सहायता नहीं दी गई। इस दौरान, परिजनों ने कई बार अस्पताल से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की, लेकिन हर बार उन्हें नजरअंदाज किया गया।
नवजात की मौत और हंगामा:
आज सुबह शिशु की हालत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई। इस खबर से आहत परिजनों ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंने डॉक्टर एच एस राय पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके नवजात शिशु की मौत डॉक्टर की लापरवाही के कारण हुई है। परिजनों ने अस्पताल के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किया और डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
पुलिस की प्रतिक्रिया:
सूचना मिलते ही सलेमपुर पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया। पुलिस ने परिजनों की शिकायत दर्ज की और मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि मामले की पूरी जांच के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाएगा और यदि डॉक्टर की लापरवाही पाई जाती है तो उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अस्पताल प्रशासन का पक्ष:
अस्पताल प्रशासन ने परिजनों के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने शिशु के इलाज में कोई लापरवाही नहीं की है। उनका कहना है कि शिशु की हालत अत्यंत गंभीर थी और उन्होंने अपनी पूरी कोशिश की थी। अस्पताल के प्रवक्ता ने कहा कि शिशु को सभी जरूरी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थीं, लेकिन उसकी हालत पहले से ही बहुत नाजुक थी।
स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया:
इस घटना से स्थानीय समुदाय में भी आक्रोश व्याप्त है। लोग अस्पताल के बाहर जमा होकर अपने समर्थन में नारेबाजी कर रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं। कई स्थानीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया है और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
निष्कर्ष:
इस घटना ने देवरिया जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और निजी अस्पतालों की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों का आरोप है कि उनके शिशु की मौत डॉक्टर की लापरवाही और अस्पताल प्रशासन की अनदेखी के कारण हुई है। पुलिस की जांच जारी है और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच के बाद क्या निष्कर्ष निकलता है। स्थानीय लोग इस घटना से दुखी हैं और वे उम्मीद कर रहे हैं कि न्याय मिलेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।