पूर्वांचल समेत पूरे उत्तर प्रदेश में पड़ रही कड़ाके की ठंड ने आम लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सुबह से लेकर शाम तक सर्द हवाओं और ठिठुरन का असर साफ देखा जा रहा है। घरों से बाहर निकलने वाले लोग किसी न किसी तरह खुद को ठंड से बचाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी उन्हें हो रही है जो रोजमर्रा के काम, इलाज, पढ़ाई या रोजगार के सिलसिले में सफर करने को मजबूर हैं। इसी ठंड की मार झेलता दिख रहा है देवरिया बस स्टेशन, जहां दिनभर यात्रियों की भीड़ के बीच सर्दी लोगों को बेहाल कर रही है।

देवरिया बस स्टेशन पर सुबह के समय हालात और भी कठिन हो जाते हैं। गांव-देहात से आने वाले यात्री ठंड में सिकुड़ते हुए बसों का इंतजार करते नजर आते हैं। कई लोग ऊनी कपड़ों में पूरी तरह लिपटे होने के बावजूद कंपकंपी से नहीं बच पा रहे हैं। खुले परिसर में ठंडी हवा सीधे शरीर में लगती है, जिससे बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है।
ठंड को देखते हुए प्रशासन और नगर पालिका की ओर से बस स्टेशन परिसर में रैन बसेरे की व्यवस्था की गई है। यहां कुल 17 वेंट लगाए गए हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर यात्री कुछ देर बैठकर आराम कर सकें और ठंड से बचाव कर सकें। दिन के समय कई यात्री, खासकर बुजुर्ग और कमजोर तबके के लोग, इन रैन बसेरों का सहारा लेते दिखाई दे रहे हैं।
इसके साथ ही नगर पालिका द्वारा बस स्टेशन परिसर में अलाव जलाने की व्यवस्था भी की गई है। ठंड के इस मौसम में अलाव यात्रियों के लिए सबसे बड़ा सहारा बनकर सामने आया है। बस का इंतजार कर रहे यात्री, चालक और परिचालक अलाव के पास खड़े होकर हाथ तापते नजर आते हैं। कई लोगों का कहना है कि अगर अलाव न जलाया जाए तो इस ठंड में स्टेशन पर रुकना बेहद मुश्किल हो जाए।
यात्रियों का कहना है कि ठंड के कारण सफर अपने आप में एक चुनौती बन गया है। बस स्टेशन पर बैठने की जगह सीमित होने और खुले वातावरण के कारण ठंडी हवा से बचाव नहीं हो पाता। हालांकि नगर पालिका की ओर से की गई व्यवस्था से कुछ हद तक राहत जरूर मिल रही है, लेकिन लोगों की मांग है कि ठंड को देखते हुए अलाव की संख्या बढ़ाई जाए और बैठने की जगह को और सुरक्षित बनाया जाए।
कुल मिलाकर, देवरिया बस स्टेशन पर दिनभर ठंड का असर साफ नजर आ रहा है। लोग ठिठुरते हुए भी अपने काम और सफर को पूरा करने में लगे हैं। रैन बसेरा और अलाव यात्रियों के लिए राहत का जरिया जरूर बने हैं, लेकिन कड़ाके की ठंड में और बेहतर इंतजाम की जरूरत महसूस की जा रही है।


