देवरिया जनपद का बरहज क्षेत्र, जहां एक ओर विकास के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, वहीं दूसरी ओर परासिया देवरा और बिशनपुर देवरा जैसे गांव आज भी उपेक्षा और लाचारी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। आधुनिक दौर में जब सड़क, पुल और कनेक्टिविटी को विकास की रीढ़ माना जाता है, तब देवरिया के ये दो गांव आज भी जिला मुख्यालय से कटे हुए हैं। यहां के लोगों के लिए जिला मुख्यालय तक पहुंचना किसी आम सफर की तरह नहीं, बल्कि “मौत का रास्ता” तय करने जैसा है।

ग्रामीणों का कहना है कि जिला मुख्यालय देवरिया पहुंचने के लिए उन्हें सरयू नदी पार करनी पड़ती है। नदी पार करने का एकमात्र सहारा नाव है। बरसात और बाढ़ के मौसम में यही नाव कई बार जानलेवा साबित हुई है। बीते वर्षों में नाव डूबने की घटनाओं में कई ग्रामीण अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की नींद अब तक नहीं टूटी।
ग्रामीण बताते हैं कि बरहज से परासिया देवरा को जोड़ने के लिए मोहन सेतु का निर्माण करीब दस वर्षों से अधिक समय से चल रहा है, लेकिन आज तक यह पुल पूरा नहीं हो पाया। आधा-अधूरा पड़ा यह पुल अब उम्मीद से ज्यादा एक दर्द बन चुका है। गर्मी के मौसम या जब सरयू नदी में पानी कम होता है, तब किसी तरह लोग आवागमन कर लेते हैं, लेकिन जैसे ही नदी उफान पर आती है, पूरा क्षेत्र मानो बाहरी दुनिया से कट जाता है। मरीज, गर्भवती महिलाएं, छात्र और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

परासिया देवरा और बिशनपुर देवरा के ग्रामीणों का साफ कहना है कि अगर मोहन सेतु बनकर तैयार हो जाए तो उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल सकती है। न सिर्फ जिला मुख्यालय से सीधा संपर्क स्थापित होगा, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और व्यापार के नए रास्ते खुलेंगे। आज हालात यह हैं कि मऊ, बनारस या प्रयागराज जैसे जिलों में जाने के लिए उन्हें 50 से 60 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है, जिससे समय और पैसा दोनों की बर्बादी होती है।
इस मुद्दे पर समाजसेवी और समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक प्रत्याशी मुरली मनोहर जायसवाल ने कहा कि मोहन सेतु की स्वीकृति उनके पिता के विधायक रहते हुए हुई थी। उस समय पुल निर्माण का कार्य तेजी से शुरू हुआ था, लेकिन सरकार बदलते ही यह परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई। आज हालात यह हैं कि पुल का काम लगभग ठप पड़ा है और ग्रामीण अपनी बदहाली के लिए मजबूर हैं।
उन्होंने सवाल उठाया कि एक ओर भारतीय जनता पार्टी सरकार एक दिन में 29 किलोमीटर नेशनल हाईवे बनाने का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर वर्षों से अधूरा पड़ा एक पुल सरकार की नीयत और प्राथमिकताओं पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। अगर यह पुल बन जाता है तो देवरिया जनपद सीधे मऊ जनपद से जुड़ जाएगा और पूरे पूर्वांचल के लोगों को आवागमन में बड़ी राहत मिलेगी।
आज परासिया देवरा और बिशनपुर देवरा के लोग सिर्फ एक पुल नहीं, बल्कि सम्मानजनक और सुरक्षित जिंदगी की मांग कर रहे हैं। सवाल यह है कि क्या उनकी आवाज सत्ता के गलियारों तक पहुंचेगी, या फिर सरयू नदी हर साल की तरह उनकी उम्मीदों को बहा ले जाएगी।


