कानपुर के पनकी इंडस्ट्रियल एरिया में बुधवार रात एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसमें देवरिया जिले के तरकुलवा थाना क्षेत्र के तववकलपुर गांव के चार युवकों की सोते समय मौत हो गई। जैसे ही यह दुखद सूचना गांव पहुंची, पूरे तववकलपुर में मातम छा गया और परिजन रोते-बिलखते हुए तत्काल कानपुर के लिए रवाना हो गए।

यह घटना पनकी थाना क्षेत्र के D-58, साइड नंबर-2 स्थित एक ऑयल सीड्स कंपनी में हुई। चारों युवक एक ही कमरे में रहते थे। गुरुवार सुबह जब साथी कर्मचारियों ने आवाज लगाई और कमरे का दरवाज़ा नहीं खुला, तो उन्होंने शंका होने पर दरवाज़ा तोड़ा। कमरे के भीतर चारों युवक बेहोशी की हालत में मृत मिले। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंची और पूरे क्षेत्र का निरीक्षण किया। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
सभी मृतक देवरिया जिले के तरकुलवा थाना क्षेत्र के मुसहरी तववकलपुर गांव के निवासी थे। वे रोज़गार के सिलसिले में कानपुर आए थे और इसी कंपनी में काम कर रहे थे। चारों युवकों की मौत से उनके परिवारों की पूरी दुनिया उजड़ गई है।
दाऊद अंसारी: परिवार का इकलौता सहारा टूट गया
गांव के दाऊद अंसारी (28) पिता यासीन अंसारी की अचानक हुई मौत ने उनके पूरे परिवार की कमर तोड़ दी है। दाऊद घर का इकलौता कमाने वाला सदस्य था। उनकी पत्नी शकीना खातून बार-बार बेहोश हो जा रही हैं और दो साल की बेटी आयत मासूम नज़रों से सभी की ओर देख रही है। तीन साल पहले ही दाऊद की शादी हुई थी। छोटे भाई निसार का भी रो-रोकर बुरा हाल है। पत्नी सदमे में सिर्फ इतना ही कह पा रही है—“अब हमारा सहारा कौन है? आयत को कौन संभालेगा?”
संजू सिंह: विदेश जाने का सपना अधूरा रह गया
संजू सिंह (26), पुत्र फतेह बहादुर सिंह, एक मेहनती और जिम्मेदार युवक थे। परिवार में छोटे भाई सूरज की शादी अभी बाकी थी। सूरज फूट-फूटकर रो रहा था और कह रहा था—“भइया कहिन रहलन कि पसुका ओढ़नी लेके आवत हई, लेकिन उ फिर ना लौटेन…”
गांव के लोग बताते हैं कि संजू शांत स्वभाव का और मेहनती लड़का था जो कई महीनों से कानपुर की इस कंपनी में काम कर रहा था।
राहुल सिंह: पासपोर्ट बनवाने आया था, मौत की खबर लेकर लौटे परिजन
राहुल सिंह (26), पुत्र ललन सिंह, दिल्ली में वेल्डिंग का काम करता था। वह विदेश जाने की तैयारी कर रहा था और दुबई के लिए वीज़ा भी आ चुका था। पासपोर्ट बनवाने वह हाल ही में गांव आया था। रिश्तेदारों के बुलावे पर वह कुछ दिन के लिए कानपुर गया था और गुरुवार को गांव लौटने वाला था। लेकिन उससे पहले ही उसकी मौत की खबर पहुंच गई। मां बार-बार रोते हुए कह रही थीं—“मेरा बेटा तो घर आने वाला था, विदेश जाने की तैयारी थी, अब हम किसके सहारे जिएंगे?”
राहुल घर का इकलौता बेटा था। उसकी दो बहनें हैं, जिनमें से एक की शादी हो चुकी है, जबकि छोटी बहन अभी पढ़ाई कर रही है।
सुमित बरनवाल: तीसरे नंबर का बेटा, परिवार का बड़ा सहारा
तववकलपुर गांव के सुमित बरनवाल (32) अपने परिवार में तीसरे नंबर के भाई थे। उनके बड़े भाई नील, अरुण और छोटे भाई राहुल का रो-रोकर हाल बुरा है। सुमित अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिए कानपुर में काम कर रहे थे। उनकी मौत से परिवार पूरी तरह टूट गया है।
गांव में पसरा मातम, ताबूतों के लौटने का इंतजार
जैसे ही चारों युवकों की मौत की खबर गांव पहुंची, पूरा तववकलपुर मातम में डूब गया। हर घर में चीख-पुकार मच गई। परिजन कानपुर के लिए निकल चुके हैं, जहां पोस्टमार्टम के बाद शव उनके हवाले किए जाएंगे। गांव के लोगों में गहरा दुख है और सभी शाम तक शवों के गांव पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं।
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि पहली बार गांव ने एक साथ चार युवा बेटों को खोया है। गलियों, चौपालों और घरों में सिर्फ इसी घटना की चर्चा है। हर कोई सदमे में है कि आखिर ऐसा कैसे हुआ। देवरिया प्रशासन भी इस घटना पर पूरी नजर बनाए हुए है। तरकुलवा पुलिस ने भी कानपुर पुलिस से संपर्क किया है और पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।
चारों युवकों की मौत ने कई घरों के सपने एक ही पल में तोड़ दिए। किसी की पत्नी विधवा हो गई, किसी का मासूम बच्चा अनाथ हो गया, किसी मां ने अपना इकलौता सहारा खो दिया। गांव का हर व्यक्ति नम आंखों से चारों युवकों की अंतिम विदाई की प्रतीक्षा कर रहा है।

