प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के दौरान मौनी अमावस्या के अवसर पर संगम नोज पर हुए भगदड़ के हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना में कई श्रद्धालु घायल हुए और दर्जनों की मौत की खबर है। यह हादसा उस वक्त हुआ जब लाखों श्रद्धालु संगम तट पर स्नान के लिए उमड़ पड़े थे। चश्मदीदों ने बताया कि कैसे अचानक स्थिति बेकाबू हो गई और यह दर्दनाक घटना हुई।
हादसे की शुरुआत: भीड़ का बढ़ता दबाव
मौनी अमावस्या पर संगम नोज पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ सुबह से ही उमड़ने लगी थी। चश्मदीदों के अनुसार, जैसे-जैसे समय बढ़ता गया, संगम नोज पर लोगों की भीड़ में दबाव बढ़ने लगा। सुरक्षा और व्यवस्था संभालने के लिए तैनात पुलिसकर्मियों और प्रशासनिक अधिकारियों के लिए स्थिति को नियंत्रित करना मुश्किल हो गया।
भगदड़ कैसे मची?
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि संगम तट के पास लोगों के धक्का-मुक्की के कारण अचानक भगदड़ मच गई। कुछ लोग फिसलकर गिर गए, जिससे अन्य श्रद्धालु भी उनके ऊपर गिरने लगे। इस दौरान घबराहट का माहौल बन गया और लोग इधर-उधर भागने लगे। कई महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग इस भगदड़ में फंस गए।
चश्मदीदों की दास्तां
घटना स्थल पर मौजूद एक महिला श्रद्धालु ने बताया, “मैं अपने परिवार के साथ स्नान करने आई थी। अचानक पीछे से धक्का-मुक्की शुरू हो गई। लोग चिल्लाने लगे और एक-दूसरे को बचाने की कोशिश करने लगे।” एक अन्य श्रद्धालु ने कहा, “संगम नोज पर भीड़ इतनी अधिक थी कि चलने की भी जगह नहीं थी। जैसे ही धक्का लगा, लोग गिरने लगे। मैंने देखा कि कई लोग बेहोश हो गए थे।”
प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल
चश्मदीदों का कहना है कि हादसे से पहले ही भीड़ बढ़ने की आशंका थी, लेकिन पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम नहीं किए गए थे। प्रशासन ने श्रद्धालुओं को संभालने के लिए पर्याप्त बैरिकेडिंग या मार्ग-निर्देशन की व्यवस्था नहीं की थी। घटना के दौरान पुलिसकर्मियों की संख्या कम थी, जिससे भीड़ को नियंत्रित करना मुश्किल हो गया।
राहत और बचाव कार्य
घटना के तुरंत बाद राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर घायलों को निकाला और नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया। प्रशासन ने पुष्टि की है कि हादसे में कई लोगों की जान गई है और घायलों का इलाज जारी है।
श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया
इस हादसे के बाद श्रद्धालुओं में भारी नाराजगी है। उनका कहना है कि प्रशासन को भीड़ के अनुमान के आधार पर बेहतर प्रबंधन करना चाहिए था। कुछ श्रद्धालुओं ने बताया कि स्नान घाटों पर उचित मार्गदर्शन और सुरक्षा इंतजाम नहीं थे, जिससे भगदड़ की स्थिति बनी।
मौनी अमावस्या और श्रद्धालुओं की आस्था
मौनी अमावस्या का पर्व महाकुंभ के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। इस दिन लाखों श्रद्धालु पवित्र गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान कर अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं। इस दिन की धार्मिक महत्ता के कारण श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है, लेकिन ऐसी घटनाएं इस पवित्र आयोजन को गहरा धक्का पहुंचाती हैं।
मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया और जांच के आदेश
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने और घायलों के निशुल्क इलाज की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए कड़े प्रबंध करने का निर्देश दिया है।
भविष्य के लिए सबक
महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इस हादसे ने एक बार फिर प्रशासन और आयोजन समितियों के प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसी घटनाओं से न केवल श्रद्धालुओं की जान का खतरा बढ़ता है, बल्कि आस्था और विश्वास पर भी चोट पहुंचती है।
महाकुंभ 2025 के इस हादसे ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सुरक्षा और प्रबंधन में जरा सी चूक भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है। प्रशासन को चाहिए कि भविष्य में बेहतर प्रबंधन के साथ-साथ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम सुनिश्चित करे ताकि श्रद्धालु बिना किसी भय के अपनी आस्था को पूर्ण कर सकें।