गुलाल अबीर कैसे बनाया जाता है कितना होता है हानिकारक

पूरे देश में होली बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है लोग अब होली का पर्व खास उत्सव के साथ मना रहे हैं, लेकिन आज हम आपको बताने वाले हैं जो आप अपने छोटे-छोटे बच्चों और अपने चाहने वाले लोगों के गालों पर जो गुलाल अबीर लगाते हैं, वह कितना हानिकारक है, कितनी फायदेमंद है।

होली के पर्व पूरे देश भर में मनाई जा रहे हैं, लोग एक दूसरे पर रंग गुलाल अबीर फेंक रहे हैं लेकिन लोग यह नहीं जानते हैं कि अबीर गुलाल को कैसे बनाए जाते हैं और यह कितने प्रकार के होते हैं, इन्हें लगाने से नुकसान होता है या नहीं यह सब कुछ जाने बिना अपनी छोटे-छोटे बच्चों बड़े बुजुर्ग सभी की गालों पर लगाते हैं, लेकिन कई बार इसका नुकसान भी झेलना पड़ता है तो आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह की गुलाल से आपको कोई नुकसान नहीं होगा और अपने बच्चों के चेहरे पर किस तरह का गुलाल लगानी चाहिए।

2024 में 2 दिन की होली खेली जा रही है खास बात यह है कि 25 मार्च और 26 मार्च को दो दिनों की होली होने की वजह से होली का रंग लगातार दो दिनों तक चल रहा है लेकिन दुकानों पर आपको रंग बिरंगी गुलाल अबीर देखने को मिल जाएगा ,इसकी बनाने की जो प्रक्रिया है वह कई तरह से है क्योंकि मार्केट में कई तरह का गुलाल उपलब्ध होता है|एक नेचुरल गुलाल तो दूसरा केमिकल युक्त गुलाल बनाया जाता है जो काफी नुकसानदायक होता है इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि आखिर इन गुलाल को बनाया कैसे जाता है होली में लाल, पीला, हारा, नीला, केसरिया, रंग सफेद यह सभी रंग देखने को मिलते हैं, लेकिन फैक्ट्री में रासायनिक गुलाल अबीर बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल है और यह काफी नुकसानदायक है दूसरी नेचुरल गुलाल अबीर बनाने की प्रक्रिया काफी मुश्किल है लेकिन यह त्वचा पर किसी तरह की कोई नुकसान नहीं करता है।

रासायनिक गुलाल अबीर कैसे बनाए जाते हैं और क्या होता है नुकसान

रासायनिक गुलाल कैसे बनाए जाते हैं और क्या होता है नुकसान इसके बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं क्योंकि गुलाल बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल है और उतना ही आसान है इसे अपने चाहने वाले की गालों पर लगा सकते है । गुलाल को अरारोट के पाउडर से बनाया जाता है यह पाउडर व्हाइट कलर का होता है जिसमें विभिन्न प्रकार की रासायनिक कलर को मिलाकर अबीर बनाया जाता है। सर्वप्रथम अरारोट को एक पानी के टब में डाला जाता है जिसमें जिस कलर का अबीर बनाना होता है उसे कलर का रंग डाला जाता है पूरी तरह से रंग में अरारोट के पाउडर को मिला लिया जाता है फिर इसे निकाल कर धूप में सुखाया जाता है।

सूख जाने के बाद पाउडर को एक मशीन में डालकर मसला जाता है जिससे उसके रंग निखर कर सामने आते हैं, और चमकदार होते हैं फिर उसे सुखाया जाता है सूखने के बाद एक और मशीन में डाला जाता है, जहां रोड़ा बने पाउडर को पीसकर एकदम पतला कर दिया जाता है, जो गुलाल बनकर तैयार हो जाता है ,लेकिन इसमें हरा लाल नीला पीला कलर बनाने के लिए रासायनिक कलर का प्रयोग किया जाता है जिसे लगाने पर कई तरह के प्रॉब्लम होती है आंख में जलन त्वचा पर इंफेक्शन जैसे तमाम इफेक्ट देखने को मिलती हैं।

नेचुरल हर्बल गुलाल कैसे बनाया जाता है

अब आपको हम बताते हैं कि नेचुरल हर्बल गुलाल कैसे बनाया जाता है जो किसी तरह का कोई नुकसान नहीं करता है क्योंकि इन दिनों गुलाल की मांग बढ़ जाती है रासायनिक अबीर काफी सस्ता होता है और हर्बल नेचुरल काफी महंगा। हर्बल नेचुरल अबीर बनाने के लिए नेचुरल फूलों का प्रयोग होता है, जैसे की प्रास का फूल जो देखने में एकदम संतरा कलर का दिखता है, इसे सुखाकर पाउडर बनाया जाता है लाल कलर बनाने के लिए चुकंदर गुलाब का फूल सुखाकर ग्राइंडिंग मशीन में पीसकर इनका पाउडर बना लिया जाता है, फिर यह गुलाल तयार होते हैं। मैदा से भी बनाए जाते हैं जो नुकसानदायक नहीं होते हैं, लेकिन बदलते समय में ज्यादातर गुलाल अब रसायन से ही बनाए जा रहे हैं जो काफी नुकसानदायक है लेकिन रंगों के त्योहार होली पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है लोग एक दूसरे को नेचुरल या रासायनिक गुलाल लगाकर होली की खुशियां मनाते हैं।

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