History of Prayagraj:प्रयागराज का इतिहास

Prayagraj A Hub of Historical and Cultural Heritage

प्रयागराज, उत्तर प्रदेश – गंगा, यमुना और गुप्त सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित, प्रयागराज न केवल धार्मिक महत्व का केंद्र है, बल्कि अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए भी प्रसिद्ध है।

धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व

प्राचीन काल में आर्यों की प्रारंभिक बस्तियां प्रयागराज में स्थापित हुई थीं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने यहां प्रथम यज्ञ किया था, जिसके परिणामस्वरूप इसे ‘प्रयाग’ नाम मिला। यह स्थान हिंदू धर्म के द्वादश माधवों (भगवान विष्णु के बारह रूप) का निवास स्थान है।

कुंभ मेला: आस्था का महासंगम

प्रयागराज महाकुंभ का एक प्रमुख स्थल है, जहां हर बारह साल में विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला आयोजित होता है। लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान कर अपने पापों का नाश करने आते हैं। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, प्रयागराज में प्रवेश मात्र से पाप कर्मों का नाश हो जाता है।

सांस्कृतिक मिश्रण

प्रयागराज हिंदू, मुस्लिम, सिख, जैन और ईसाई समुदायों की मिश्रित संस्कृति का शहर है। यह नगर महान ऋषियों जैसे भारद्वाज, दुर्वासा और पन्ना की ज्ञानस्थली भी रही है।

आधुनिक इतिहास

1575 में सम्राट अकबर ने इसे ‘इलाहाबास’ नाम दिया, जिसका अर्थ ‘अल्लाह का शहर’ है। मुगलों के शासनकाल में यह एक महत्वपूर्ण प्रांतीय राजधानी थी। 1801 में इसे ब्रिटिश शासन को सौंप दिया गया और 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह एक प्रमुख केंद्र रहा। 1858 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसे ब्रिटिश सरकार को सौंप दिया और बाद में इसे आगरा-अवध संयुक्त प्रांत की राजधानी बना दिया गया।

शिक्षा और न्याय का केंद्र

प्रयागराज में 1868 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की स्थापना हुई और 1887 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना हुई, जो भारत के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

प्रयागराज भारतीय स्वाधीनता आंदोलन का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। यहां के आनंद भवन में महात्मा गांधी ने अहिंसक विरोध का कार्यक्रम प्रस्तावित किया था। यह शहर भारत के कई प्रधानमंत्रियों का गढ़ भी रहा है, जिनमें जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और वी.पी. सिंह शामिल हैं।

वर्तमान स्थिति

प्रयागराज एक प्रमुख प्रशासनिक और शैक्षिक केंद्र है, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय, मोतीलाल नेहरू प्रौद्योगिकी संस्थान और भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) जैसे प्रमुख संस्थान स्थित हैं। यह शहर अपने राजनीतिक और आध्यात्मिक जागरूकता के लिए भी प्रसिद्ध है।

प्रयागराज अपने गौरवशाली इतिहास और जीवंत संस्कृति के साथ आज भी भारतीय सभ्यता का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है।

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