History of Baghpat District: बागपत जिला: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि

बागपत जिले का इतिहास: बागपत शहर का नाम “व्याघप्रस्थ” (अर्थात् शेरों का स्थान) या “वाक्यप्रस्थ” (अर्थात् भाषण देने का स्थान) से उत्पन्न माना जाता है। मुग़ल साम्राज्य के काल में इसका नाम “बागपत” रखा गया। यह नामकरण शायद इसलिए हुआ क्योंकि उस समय यह एक छोटी-सी मण्डी हुआ करती थी, जो 1857 के विद्रोह के बाद एक तहसील केन्द्र बनी और धीरे-धीरे बढ़ती गई। उस समय यह मेरठ ज़िले का हिस्सा था। सन् 1997 में बागपत को मेरठ से अलग करके एक नया जिला बनाया गया।

स्वतंत्रता संग्राम और नीरा आर्य स्मारक: बागपत जिले के खेकड़ा तहसील में महान स्वतंत्रता सेनानी नीरा आर्य की स्मृति में तेजपाल सिंह धामा ने नीरा आर्य स्मारक एवं पुस्तकालय की स्थापना की है। नीरा आर्य आजाद हिन्द फौज की सिपाही और जासूस थीं। स्मारक में नीरा आर्य की प्रतिमा के साथ-साथ बागपत जिले के सभी 326 स्वतंत्रता सेनानियों के चित्र और जानकारी संग्रहित की गई है। इस स्मारक का उद्देश्य न केवल नीरा आर्य की वीरता और साहस को सम्मानित करना है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों को भी स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण पहलुओं से अवगत कराना है।

बागपत का विकास: बागपत जिले का विकास ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यहाँ की संस्कृति और धरोहर में कई प्राचीन और महत्वपूर्ण घटनाओं का समावेश है। जिले में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों की उपस्थिति इसे एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बनाती है।

बागपत जिले की आर्थिक और सामाजिक उन्नति में कृषि, व्यापार और उद्योगों का बड़ा योगदान है। यह जिला मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, जहाँ विभिन्न फसलें उगाई जाती हैं।

सारांश: बागपत का इतिहास, संस्कृति और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान इसे एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करते हैं। नीरा आर्य स्मारक और अन्य ऐतिहासिक धरोहरें इस जिले की महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं, जो इसे न केवल उत्तर प्रदेश में बल्कि पूरे देश में एक विशिष्ट पहचान दिलाती हैं।

AD4A