भारत में दो प्रमुख कैलेंडर प्रचलित हैं—ग्रेगोरियन कैलेंडर, जिसे आमतौर पर अंग्रेजी कैलेंडर कहा जाता है, और हिंदू कैलेंडर, जिसे विक्रम संवत और शक संवत के नाम से भी जाना जाता है। वर्तमान में हिंदू पंचांग के अनुसार विक्रम संवत 2081 और शक संवत 1946 चल रहा है। आइए जानते हैं कि ये संवत क्या होते हैं और इनकी गणना कैसे की जाती है।

विक्रम संवत 2081: कैसे हुई शुरुआत?
विक्रम संवत की शुरुआत 57 ईसा पूर्व मानी जाती है। इसे उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने शुरू किया था। भारतीय ज्योतिष और पंचांगों में इस संवत को प्रमुखता दी जाती है। विक्रम संवत 2081 की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हुई, जो कि 9 अप्रैल 2024 को थी। इस संवत का आधार चंद्र कैलेंडर होता है, जिसमें महीनों की गणना चंद्रमा के अनुसार की जाती है।
शक संवत 1946: क्या है इसका महत्व?
शक संवत की शुरुआत 78 ईस्वी में हुई थी, जिसे राजा कनिष्क ने शुरू किया था। यह भारत सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त संवत है और इसका उपयोग सरकारी दस्तावेजों में किया जाता है। शक संवत की गणना सूर्य वर्ष के आधार पर होती है और यह 22 मार्च 2024 से शुरू हुआ है।
विक्रम संवत और शक संवत में क्या अंतर है?
- शुरुआत का वर्ष – विक्रम संवत 57 ईसा पूर्व शुरू हुआ, जबकि शक संवत 78 ईस्वी में।
- गणना का आधार – विक्रम संवत चंद्र आधारित है, जबकि शक संवत सूर्य आधारित।
- मान्यता – विक्रम संवत धार्मिक आयोजनों में ज्यादा प्रयोग होता है, जबकि शक संवत भारत सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से स्वीकार किया गया है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार महीनों की गणना
हिंदू कैलेंडर में 12 महीने होते हैं, जो चंद्रमा की गति के अनुसार चलते हैं:
- चैत्र
- वैशाख
- ज्येष्ठ
- आषाढ़
- श्रावण
- भाद्रपद
- आश्विन
- कार्तिक
- मार्गशीर्ष
- पौष
- माघ
- फाल्गुन
पंचांग के अनुसार दिन और तिथियां
हिंदू पंचांग पांच मुख्य तत्वों से मिलकर बना होता है:
- तिथि – चंद्रमा की गति के अनुसार दिन
- वार – सप्ताह के सात दिन
- नक्षत्र – चंद्रमा की स्थिति
- योग – सूर्य और चंद्रमा की सापेक्ष स्थिति
- करण – तिथि का आधा भाग
भारतीय त्योहार और हिंदू कैलेंडर
हिंदू धर्म में लगभग सभी त्योहार हिंदू कैलेंडर के आधार पर मनाए जाते हैं। उदाहरण के लिए:
- दीपावली – कार्तिक अमावस्या
- होली – फाल्गुन पूर्णिमा
- मकर संक्रांति – सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर
- नवरात्रि – चैत्र और आश्विन मास में