spot_img

Top 5 This Week

Related Posts

अखिलेश यादव का एग्जिट पोल पर बयान: ‘EBM नहीं DM है’

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हाल ही में एग्जिट पोल के नतीजों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ये नतीजे “EBM नहीं DM है।” यह बयान उन्होंने x.com (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से दिया। अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में लिखा, “शासन याद रखे जनशक्ति से बड़ा बल और कोई नहीं होता।” इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है और विभिन्न राजनीतिक दलों और नेताओं के बीच चर्चाओं का विषय बन गया है।

अखिलेश यादव का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश भर में लोकसभा चुनाव 2024 के एग्जिट पोल के नतीजे सामने आ रहे हैं। एग्जिट पोल के अनुसार, बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को भारी बढ़त मिलती दिख रही है, जबकि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को अपेक्षित सफलता नहीं मिलती दिखाई दे रही है। इस संदर्भ में अखिलेश यादव का बयान महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विपक्षी दलों की ओर से चुनाव प्रक्रिया और एग्जिट पोल के नतीजों पर उठाए गए सवालों का प्रतिनिधित्व करता है।

अखिलेश यादव ने अपने बयान में ‘EBM’ और ‘DM’ शब्दों का उपयोग किया है, जो कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EBM) और डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (DM) को संदर्भित करता है। उनका कहना है कि एग्जिट पोल के नतीजे EBM के आधार पर नहीं, बल्कि DM के आधार पर हैं, जिसका अर्थ है कि प्रशासनिक दबाव और सरकारी तंत्र का इस्तेमाल करके चुनाव परिणाम प्रभावित किए गए हैं। यह आरोप नया नहीं है, बल्कि पिछले कुछ सालों से विपक्षी दलों द्वारा चुनाव आयोग और सरकारी तंत्र पर लगाए जाने वाले आरोपों का हिस्सा है।

अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में जनशक्ति का भी उल्लेख किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि जनशक्ति से बड़ा कोई बल नहीं होता। उनका यह बयान जनता की ताकत और उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है। वे यह संदेश देना चाहते हैं कि चाहे जो भी प्रशासनिक ताकत हो, अंततः जनता की इच्छा सर्वोपरि होती है और वही निर्णायक साबित होती है।

अखिलेश यादव का यह बयान विपक्षी दलों के भीतर एकजुटता और उनके संघर्ष को भी प्रदर्शित करता है। विपक्षी दल लगातार यह आरोप लगाते रहे हैं कि चुनाव आयोग और प्रशासनिक तंत्र का दुरुपयोग करके सत्तारूढ़ दल अपने पक्ष में चुनाव परिणाम प्रभावित कर रहा है। अखिलेश यादव का यह बयान इस मुद्दे पर विपक्ष के रुख को और मजबूत करता है।

इस बयान के बाद राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी चुनावी मौसम में यह मुद्दा और भी गर्मा सकता है। विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाएंगे और इसे एक बड़े चुनावी मुद्दे के रूप में उठाएंगे। इससे सत्तारूढ़ दल पर भी दबाव बढ़ेगा और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठेंगे।

इसके अलावा, अखिलेश यादव का यह बयान उनके राजनीतिक रणनीति का भी हिस्सा हो सकता है। वे उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी को मजबूत करने और जनता के बीच अपनी पकड़ बढ़ाने के लिए इस प्रकार के बयान दे रहे हैं। इससे उनके समर्थकों में उत्साह बढ़ेगा और वे अपनी पार्टी के पक्ष में एकजुट होकर काम करेंगे।

अखिलेश यादव का यह बयान सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है और इसे विभिन्न प्लेटफार्मों पर साझा किया जा रहा है। इसके समर्थक और विरोधी दोनों ही इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। समर्थक जहां इसे एक साहसिक कदम और जनता की आवाज बता रहे हैं, वहीं विरोधी इसे एक राजनीतिक चाल और प्रशासनिक व्यवस्था पर बेबुनियाद आरोप मान रहे हैं।

अखिलेश यादव का यह बयान केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे विपक्ष का प्रतिनिधित्व करता है। यह बयान विपक्षी दलों के भीतर एकजुटता और उनके संघर्ष को भी प्रदर्शित करता है। आगामी चुनावों में इस प्रकार के बयान और मुद्दे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और जनता के बीच चुनावी माहौल को प्रभावित कर सकते हैं।

Popular Articles

×

Hello!

Click one of our contacts below to chat on WhatsApp

×