देवरिया: चचेरे मामा और भांजी के प्रेम संबंध ने मचाई हलचल, पंचायत कर रही है समाधान की कोशिश

देवरिया जिले के एक गांव में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक युवक अपनी ही भांजी से शादी करने की जिद पर अड़ा हुआ है, जिससे पूरे गांव में सनसनी फैल गई है। इस घटना ने न केवल परिवार को बल्कि समाज को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है।

घटना का विवरण

गांव के निवासी रामनारायण (बदला हुआ नाम) ने अपनी भांजी सुषमा (बदला हुआ नाम) के साथ प्रेम संबंध स्थापित कर लिए हैं। सुषमा की उम्र मात्र 18 वर्ष है और वह अभी अपनी पढ़ाई कर रही है, जबकि रामनारायण 30 वर्ष के हैं। यह मामला तब उजागर हुआ जब सुषमा के माता-पिता ने उसे रामनारायण के साथ देख लिया और विरोध जताया।

परिवार का विरोध

सुषमा के माता-पिता इस संबंध को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं और उन्होंने रामनारायण के खिलाफ सख्त कदम उठाने की बात कही है। उनका कहना है कि यह न केवल पारिवारिक मर्यादा के खिलाफ है, बल्कि समाजिक मान्यताओं के भी विपरीत है।

पंचायत की बैठक

इस मामले को लेकर गांव की पंचायत में भी बैठक बुलाई गई है। पंचायत के मुखिया ने बताया कि यह मामला बहुत ही संवेदनशील है और इसे ध्यानपूर्वक हल करना होगा। उन्होंने कहा कि परिवार और समाज के हित को ध्यान में रखते हुए ही कोई फैसला लिया जाएगा। पंचायत ने रामनारायण और सुषमा को समझाने का प्रयास किया है कि वे अपने रिश्ते को समाप्त कर दें और सामान्य जीवन जीने की कोशिश करें।

कानून की नजर

इस मामले ने कानूनी पहलू भी उठा दिए हैं। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के संबंधों को भारतीय कानून में मान्यता नहीं है और यह अवैध है। यदि सुषमा के माता-पिता इस मामले को पुलिस में दर्ज कराते हैं, तो रामनारायण के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

समाज की प्रतिक्रिया

गांव के लोग इस घटना से बेहद हैरान और नाराज हैं। उनका मानना है कि ऐसे रिश्ते समाज के ताने-बाने को कमजोर करते हैं और युवाओं के लिए गलत उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। कई लोगों ने पंचायत से सख्त कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो।

यह घटना हमारे समाज की जटिलताओं और बदलते सामाजिक मूल्यों को दर्शाती है। पारिवारिक संबंधों की मर्यादा और सामाजिक नियमों का पालन करना हमारी जिम्मेदारी है। इस मामले में परिवार, समाज और कानून के हितों को ध्यान में रखते हुए सही कदम उठाना आवश्यक है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे छोटे-छोटे निर्णय भी समाज पर गहरा प्रभाव डालते हैं, इसलिए सोच-समझ कर और सामूहिक हितों को ध्यान में रखते हुए ही कोई कदम उठाना चाहिए।

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