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उत्तर प्रदेश में 27,931 प्राथमिक विद्यालयों में 50 से कम छात्र, दर्जनों संयुक्त स्कूलों में एक भी छात्र नहीं

उत्तर प्रदेश के प्राथमिक शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, राज्य के 27,931 प्राथमिक विद्यालयों में 50 से कम छात्र हैं, जबकि दर्जनों संयुक्त स्कूलों में एक भी छात्र नहीं है। यह स्थिति शिक्षा विभाग और राज्य सरकार के लिए चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि यह सरकारी शिक्षा प्रणाली की विफलता को दर्शाती है।

सरकारी स्कूलों की स्थिति

राज्य के शिक्षा विभाग के अनुसार, प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी स्कूलों की स्थिति बेहद खराब है। कई स्कूलों में शिक्षक और छात्रों की संख्या में भारी असंतुलन है। कुछ स्कूलों में तो शिक्षकों की संख्या छात्रों से भी अधिक है, जबकि कई स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी छात्र नहीं है।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम और स्थिति

शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। इसके बावजूद, राज्य में प्राथमिक शिक्षा की हालत दयनीय है। शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राज्य के कई जिलों में प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों की संख्या न्यूनतम स्तर पर है।

प्रमुख जिलों की स्थिति

लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, गोरखपुर, मेरठ, और आगरा जैसे प्रमुख जिलों में भी प्राथमिक शिक्षा की हालत चिंताजनक है। इन जिलों में कई स्कूल ऐसे हैं जहां छात्रों की संख्या 50 से भी कम है। कुछ स्कूलों में तो एक भी छात्र नहीं है, जिससे स्कूल बंद होने की कगार पर हैं।

शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया

राज्य शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि इस समस्या के समाधान के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। शिक्षा विभाग ने कई योजनाओं की शुरुआत की है, जिनमें छात्रों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। विभाग का कहना है कि स्कूलों में आधारभूत सुविधाओं को बेहतर बनाया जा रहा है और शिक्षकों की गुणवत्ता को सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं।

जनभागीदारी और जागरूकता

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या का एक प्रमुख कारण जागरूकता की कमी है। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता नहीं है, जिससे वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने में असमर्थ हैं। इसके अलावा, निजी स्कूलों की बढ़ती संख्या भी सरकारी स्कूलों के लिए चुनौती बन गई है।

समाधान के उपाय

विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या का समाधान सामूहिक प्रयासों से ही संभव है। सरकार को शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाने की आवश्यकता है। इसके अलावा, सरकारी स्कूलों में शिक्षण की गुणवत्ता को सुधारने के लिए शिक्षकों का नियमित प्रशिक्षण और आधारभूत सुविधाओं का विकास किया जाना चाहिए।

राज्य सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, लेकिन उनकी प्रभावीता को सुनिश्चित करने के लिए निरंतर निगरानी और जनभागीदारी की आवश्यकता है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम को प्रभावी रूप से लागू करने और सरकारी स्कूलों की स्थिति को सुधारने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।

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