देवरिया जनपद में एक ऐसा रेलवे स्टेशन है जहां अब कोई यात्री नहीं जाता, न ही दिन में और न ही रात में। यह रेलवे स्टेशन, जो कभी यात्रियों की चहल-पहल से गुलजार रहता था, अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। इस रेलवे स्टेशन का नाम है अहिल्यापुर रेलवे स्टेशन, जो देवरिया जिला मुख्यालय से मात्र 7 किलोमीटर पूरब दिशा में स्थित है।
सुनसान रेलवे स्टेशन का इतिहास
अहिल्यापुर रेलवे स्टेशन कभी एक महत्वपूर्ण यातायात केंद्र था। 15 साल पहले यहां सारी व्यवस्थाएं उपलब्ध थीं और प्रतिदिन सैकड़ों लोग इस स्टेशन से यात्रा करते थे। स्टेशन पर ट्रेनों का संचालन नियमित होता था, और स्टेशन मास्टर के कार्यालय से यात्रियों को टिकट मिलती थी। लेकिन समय के साथ, यह रेलवे स्टेशन धीरे-धीरे सुनसान होता गया और आज इसकी स्थिति खंडहर से बेहतर नहीं है।
वर्तमान स्थिति
आज, अहिल्यापुर रेलवे स्टेशन पर केवल लोकल ट्रेनें ही रुकती हैं। प्रतिदिन इस रूट से लगभग डेढ़ सौ ट्रेनें गुजरती हैं, लेकिन कोई भी लंबी दूरी की ट्रेन यहां नहीं रुकती। यात्रियों की कमी के कारण, टिकट काउंटर और स्टेशन मास्टर का कार्यालय धूल और कागजों के ढेर से भरा पड़ा है। स्टेशन के चारों ओर की इमारतें जर्जर हो चुकी हैं, और वहां अब कोई नहीं रहता।
स्थानीय लोगों की राय
स्थानीय लोगों का मानना है कि अहिल्यापुर रेलवे स्टेशन कभी यहां के निवासियों के लिए यातायात की बेहतर सुविधा प्रदान करता था। लेकिन समय के साथ, इसे हाल्ट स्टेशन में तब्दील कर दिया गया, जिससे यात्रियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। अब, जो लोकल ट्रेनें यहां रुकती हैं, उनमें टिकट की उपलब्धता नहीं होती है, जिससे यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
भूतिया स्टेशन की कहानियाँ
स्थानीय लोग कहते हैं कि जहां इंसान नहीं रहते, वहां भूतों का बसेरा हो जाता है। यही हाल अब अहिल्यापुर रेलवे स्टेशन का भी है। यहाँ की सुनसान और वीरान स्थिति ने इस स्थान को भूतिया बना दिया है। रात के समय यहां की खामोशी और अंधेरा लोगों को डरा देता है। कई लोग यहां किसी अनजानी उपस्थिति का अनुभव करने की बात भी करते हैं, जिससे यह स्टेशन और भी रहस्यमय हो जाता है।
भविष्य की उम्मीदें
हालांकि अहिल्यापुर रेलवे स्टेशन की मौजूदा स्थिति काफी दयनीय है, लेकिन स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि प्रशासन इस ओर ध्यान देगा और इस स्टेशन को फिर से एक सक्रिय यातायात केंद्र के रूप में विकसित करेगा। इस स्टेशन का पुनर्निर्माण और पुनर्विकास यहां के निवासियों के लिए फिर से यातायात की सुविधा उपलब्ध करा सकता है और इसे भूतिया स्टेशन की छवि से बाहर निकाल सकता है।
अहिल्यापुर रेलवे स्टेशन का यह अद्वितीय और रहस्यमय इतिहास दर्शाता है कि समय के साथ कैसे एक महत्वपूर्ण यातायात केंद्र खंडहर में तब्दील हो सकता है। इसके पुनर्निर्माण की दिशा में उठाए गए कदम न केवल इसे पुनर्जीवित कर सकते हैं, बल्कि इसके आसपास के समुदाय को भी लाभ पहुंचा सकते हैं।