देवरिया पराली जलाने की घटनाओं पर सेटेलाईट से हो रही निगरानी

उप कृषि निदेशक विकेश कुमार ने बताया कि जनपद के क्षेत्रों में पुआल जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए भारत सरकार ने कड़ी किलेबन्दी की है। कोई भी किसान खेतों में पुआल जलाने के बाद चालाकी न कर पाये इसको लेकर विशेष तकनीकी सेटेलाइट के माध्यम से घटना पकड़ लिये जाने की व्यवस्था की गई हैं। कोई भी किसान खेतों में फसल अवशेष जलाकर पर्यावरण के खिलाफ खिलवाड करेगा तो उसके उपर सख्त से सख्त कार्यवाही की तैयारी कृषि विभाग ने कर ली है। पराली जलाने की घटनाओं से प्रदूषित हो सके पर्यावरण पर जिले से लेकर केन्द्र सरकार तक चिन्ता व्यक्त की जा रही है। प्रदूषित हो रहे पर्यावरण के कारण त्वचा स्वांस सहित अनेक प्रकार की बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। यहां तक कि बहुत लोग संक्रमण का शिकार भी हो रहे हैं। शासन प्रशासन के लिए पर्यावरण को बचाना चुनौती बन गया है। जनपद का कोई भी किसान खेतों में फसल अवशेष जलाकर जिला प्रशासन की आंखों में धूल न झाक इसको लेकर सैटेलाइट के माध्यम से चप्पे-चप्पे पर निगरानी रखी जा रही है।
उप कृषि निदेशक ने यह भी बताया कि खेतों में फसल अवशेष जलाये जाने से पर्यावरण की शुद्ध हवा जहरीली हो रही है। जिसके कारण आम जन मानस में भयंकर प्रभाव दिखने लगे हैं। जिले में लगातार जागरूकता अभियान प्रचार वाहन व गोष्ठी के माध्यम से फैलाई जा रही है। फसल अवशेष जलाना हर प्रकार से घाटे का सौदा है। समझाने के बाद भी कोई किसान चालाकी कर आखों में धूल झोंकने की कोशिश करेगा तो उसे माफ नहीं किया जायेगा। किसान को शायद यह नहीं मालूम कि आग की घटनाओं पर सैटेलाइट के माध्यम से नजर रखी जा रही है। यह व्यवस्था इतनी सफल है कि कोई आरोपी बच नहीं सकता है। भारत सरकार सेटेलाइट कन्ट्रोलर से जानकारी मिलते ही निर्धारित क्षेत्र में टीम पहुंच रही है और पूरी तरह से जांच कर रही है। उप कृषि निदेशक कुमार ने किसान भाईयों से पुनः अनुरोध किया है कि वे अपने खेतों में पुआल को न जलायें इससे खेतों की उर्वरता कम होती जा रही है और पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है।
इसके अतिरिक्त यदि किसी भी गांव में किसी किसान द्वारा पराली जलाते हुए पाया है तो 02 एकड क्षेत्रफल से कम पर 2500 रू० प्रति घटना 2 हेक्टेयर से 5 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले किसान पर रू० 15000 प्रति घटना तथा 5 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल वाले किसानों पर रू0 15000 प्रति घटना का जुर्माना सम्बन्धित किसान से वसूल किया जायेगा।

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