देवरिया। विवाह पंचमी के पावन अवसर पर देवरिया जिले के ऐतिहासिक बैकुंठपुर मंदिर परिसर में सोमवार को भव्य कार्यक्रम का आयोजन हुआ। यहां भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का प्रतीकात्मक विवाह विधि-विधान के साथ सम्पन्न कराया गया। इस दिव्य आयोजन को देखने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हजारों श्रद्धालु दूर-दूर से बैकुंठपुर पहुंचे। पूरे परिसर में आस्था, उल्लास और भक्ति का अनूठा संगम देखने को मिला। मंदिर प्रांगण और आसपास के क्षेत्र में मेले जैसा माहौल रहा, जिसमें बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों ने बड़ी उत्साह के साथ सहभागिता की।

स्थानीय लोगों के अनुसार बैकुंठपुर में यह परंपरा करीब 300 वर्षों से लगातार निभाई जा रही है। मान्यता है कि इस पवित्र स्थल पर विवाह पंचमी के दिन भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह की झांकी सजाई जाती है और समाज को आदर्श, मर्यादा और धर्म पालन का संदेश दिया जाता है। समय बदल गया, युग आधुनिक हो गया, लेकिन यह परंपरा आज भी पूरे समर्पण और श्रद्धा के साथ निभाई जा रही है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि यह आयोजन सिर्फ धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि संस्कृति और विरासत का जीवंत प्रतीक है।
मंदिर पहवारी महाराज के अधीन संचालित है। मान्यता है कि पहवारी महाराज की 365 कुटिया हैं और वे हर कुटिया में केवल एक दिन निवास करते हैं। इसी क्रम में विवाह पंचमी के दिन वे बैकुंठपुर पहुंचते हैं और इस ऐतिहासिक आयोजन का नेतृत्व करते हैं। उनके आगमन के साथ ही यहां का वातावरण और अधिक आध्यात्मिक हो जाता है। भक्त उनके दर्शन और आशिर्वाद के लिए घंटों तक लाइन में खड़े दिखाई दिए।

सुबह से ही मंदिर परिसर में विशेष पूजा, हवन और भजन-कीर्तन का सिलसिला शुरू हो गया। स्थानीय कलाकारों ने भगवान राम और माता सीता के विवाह की झांकी प्रस्तुत की, जिसे देखकर भक्त भाव-विभोर हो उठे। आयोजन समिति ने श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद वितरण, चिकित्सा सुविधा और पेयजल की व्यवस्था भी की। सुरक्षा व्यवस्था को संभालने के लिए स्थानीय प्रशासन और वॉलंटियर्स तैनात रहे।
मेले में धार्मिक सामग्री, खिलौनों, मिठाइयों और हस्तशिल्प के स्टॉल लगाए गए, जो बच्चों और महिलाओं के लिए आकर्षण का केंद्र बने रहे। ग्रामीणों का कहना है कि विवाह पंचमी का यह आयोजन पूरे क्षेत्र की पहचान बन चुका है और हर वर्ष यहां श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है।
बैकुंठपुर में विवाह पंचमी का यह पर्व सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि समाज को परंपरा, मर्यादा, प्रेम और एकता का संदेश भी देता है। लोगों ने कामना की कि भगवान श्रीराम और माता सीता का यह पवित्र मिलन सभी परिवारों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाए।
यह आयोजन समाप्त होने के बाद भी श्रद्धालुओं की भीड़ देर शाम तक मंदिर परिसर में बनी रही, और हर किसी के चेहरे पर संतोष, भक्ति और श्रद्धा का भाव साफ झलक रहा था।


