Deoria News: सलेमपुर तहसील समाधान दिवस पर पीड़ित ने आत्मदाह की कोशिश, पत्रकार की तत्परता से बची जान

देवरिया जिले के सलेमपुर तहसील में समाधान दिवस के दौरान एक बड़ी घटना होते-होते बच गई। समाधान दिवस पर विभिन्न विभागों के अधिकारी और जनता की समस्याओं को सुनने के लिए एकत्र हुए थे। इसी बीच एक पीड़ित व्यक्ति, जो अपनी शिकायतों का समाधान न होने से हताश था, ने आत्मदाह करने की कोशिश की। इस घटना ने वहां मौजूद सभी लोगों को हिला कर रख दिया। लेकिन पत्रकार की त्वरित प्रतिक्रिया से पीड़ित की जान बच गई और एक बड़ा हादसा टल गया।

घटना के अनुसार, पीड़ित व्यक्ति काफी समय से अपनी समस्या का समाधान न होने से मानसिक और भावनात्मक रूप से टूट चुका था। वह समाधान दिवस पर अपने दुखों का समाधान पाने की उम्मीद लेकर आया था। जब उसकी समस्या का संतोषजनक समाधान नहीं हुआ, तो उसने अपना धैर्य खो दिया और आत्मदाह करने का कठोर कदम उठाने की कोशिश की। उसने अपने साथ लाया हुआ मिट्टी का तेल अपने ऊपर डाल लिया और आग लगाने की कोशिश की।

हालांकि, ठीक उसी समय वहां मौजूद एक सतर्क पत्रकार की नजर उस व्यक्ति पर पड़ी, जिसने उसे आत्मदाह करते हुए देखा। बिना समय गंवाए, पत्रकार ने तुरंत हस्तक्षेप किया और पीड़ित व्यक्ति को पकड़कर उसे आग लगाने से रोक लिया। पत्रकार की इस तत्परता और साहसिक कदम से पीड़ित की जान बच गई, और वह गंभीर हादसा होने से पहले ही टल गया।

घटना स्थल पर मौजूद लोगों ने पत्रकार के इस सराहनीय कार्य की प्रशंसा की। लोगों का कहना था कि यदि पत्रकार समय पर न पहुंचता, तो एक बड़ी त्रासदी हो सकती थी। तहसील परिसर में मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों ने भी पत्रकार की सतर्कता और हिम्मत की जमकर सराहना की। घटना के तुरंत बाद पुलिस एलऔर प्रशासनिक अधिकारियों ने स्थिति को नियंत्रित किया और पीड़ित को समझाने की कोशिश की।

पीड़ित व्यक्ति ने बताया कि वह अपनी समस्या को लेकर कई बार तहसील और अन्य विभागों में शिकायत कर चुका था, लेकिन उसकी समस्या का समाधान नहीं हो पाया। उसे महसूस हुआ कि उसकी आवाज अनसुनी की जा रही है, और इसी निराशा में उसने आत्मदाह जैसा कठोर कदम उठाने का विचार किया। हालांकि, पत्रकार की त्वरित कार्रवाई ने उसकी जान बचाई और उसे इस निर्णय पर दोबारा सोचने का मौका मिला।

इस घटना ने प्रशासन के समक्ष एक गंभीर प्रश्न खड़ा कर दिया है। समाधान दिवस का आयोजन नागरिकों की समस्याओं को सुनने और उनके समाधान के लिए किया जाता है, लेकिन इस प्रकार की घटनाएं यह बताती हैं कि कई बार समस्याओं को हल करने में लापरवाही बरती जाती है, जिससे पीड़ित नागरिक अपनी उम्मीद खो बैठते हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह ऐसी घटनाओं से सबक ले और नागरिकों की समस्याओं को गंभीरता से सुने तथा त्वरित समाधान निकाले, ताकि भविष्य में कोई और नागरिक इस प्रकार का कदम उठाने को मजबूर न हो।

घटना के बाद तहसील समाधान दिवस के दौरान सुरक्षा व्यवस्था और भी कड़ी कर दी गई है। अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया है कि भविष्य में ऐसी कोई भी अप्रिय घटना न हो। इसके अलावा, पीड़ित व्यक्ति को उचित मानसिक और भावनात्मक समर्थन दिया जा रहा है ताकि वह इस प्रकार की स्थिति से उबर सके।

घटना के बाद से तहसील परिसर में चर्चा का माहौल गरम है। लोगों का कहना है कि प्रशासन को नागरिकों की समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए और उनके समाधान के लिए ईमानदारी से प्रयास करना चाहिए। यदि ऐसा होता है, तो इस प्रकार की निराशाजनक घटनाएं नहीं होंगी, और नागरिकों का प्रशासन पर भरोसा भी बना रहेगा।

इस पूरे घटनाक्रम में पत्रकार की भूमिका बेहद सराहनीय रही। पत्रकार ने न केवल त्वरित निर्णय लिया बल्कि अपने साहस से एक जीवन को बचा लिया। यह घटना इस बात की ओर भी इशारा करती है कि मीडिया और पत्रकारिता की भूमिका न केवल सूचना प्रदान करने में होती है, बल्कि समाज के अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में भी होती है।

आखिरकार, समाधान दिवस का उद्देश्य ही जनता की समस्याओं को हल करना है। इस घटना ने यह स्पष्ट किया है कि जनता की उम्मीदों को पूरा करना प्रशासन की जिम्मेदारी है और उसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

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